7 Mar 2025
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माइग्रेन एक प्रकार का सिरदर्द है जो आमतौर पर एक-तरफ या कभी-कभी दोनों तरफ होता है. माइग्रेन का दर्द बहुत तेज होता है. यह सिरदर्द कई घंटों से लेकर कुछ दिनों तक रह सकता है.
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माइग्रेन के दौरान व्यक्ति को तेज रोशनी, आवाज या खुशबू से परेशानी हो सकती है और कभी-कभी उल्टी या मितली भी हो सकती है.
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हाल ही में योगगुरु स्वामी रामदेव के ऑफिशिअल इंस्टाग्राम पर एक वीडियो पोस्ट किया गया है जिसमें वह माइग्रेन से मुक्ति पाने का इलाज बता रहे हैं.
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बाबा रामदेव वीडियो में बता रहे हैं, 'देसी घी की गरम-गरम जलेबी माइग्रेन दर्द से बचाती हैं. ताकत भी पूरी देती हैं.'
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'देसी घी की जो जलेबी है न केवल मैदा की मत बनाना. इसमें मैदा के साथ बेसन मिला देना और उसमें पनीर भी मिला देना. तो ये आपके लिए औषधि का काम करेंगी.'
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'जो चाशनी भी बनाई हमने खांड (गन्ने के रस का कम रिफाइंड रूप है) में बनाई है. इसमें गाय का देसी घी और ब्राउन शुगर की चाशनी बनाते हैं.'
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'अब गरम-गरम जलेबी दूध में डाल कर के खाएं. वैसे उत्तर प्रदेश में दही के साथ भी जलेबी खाते हैं. ये जलेबी खाई तो सिर दर्द के लिए, माइग्रेन पैन के लिए परम औषधि है. बल के लिए भी.'
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'गाय का दूध और गाय के घी में बनी हुई यह जो जलेबी है, जब आप इसको खाते हैं तो मस्तिष्क को पोषण तो मिलता ही है. पूरे शरीर को भी पोषण मिलता है.'
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रांची के डॉ. कमलेश प्रसाद के मुताबिक, गाय का घी मधुर, स्निग्ध, शीतल होता है. यह वात, पित्त का शमन करता है. माइग्रेन का दर्द ठीक करने के लिए रोज घी की 2 बूंदे नाक में डाल सकते हैं या इसका सेवन भी कर सकते हैं.
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आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. मिहिर खत्री द्वारा पोस्ट किए गए एक वीडियो में दावा किया गया है कि रबड़ी-जलेबी, स्वादिष्ट मिठाई का मिश्रण, माइग्रेन से पीड़ित कुछ लोगों के लिए एक उपाय हो सकता है, जो एक तरह का मध्यम से गंभीर एकतरफा सिरदर्द है.
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डॉ. खत्री के अनुसार, सूर्योदय से पहले का समय वात (वायु और अंतरिक्ष तत्व) से जुड़ा होता है, जो दर्द का कारण बनता है. चूंकि जलेबी और रबड़ी 'कफवर्धक आहार' हैं यानी दोषों में संतुलन लाते हैं, इसलिए वे माइग्रेन से संबंधित सिरदर्द से निपटने में मदद करते हैं, रबड़ी के साथ गरम जलेबी खाएं। लेकिन इसे केवल 1-3 सप्ताह तक ही जारी रखें.
हालांकि ये आयुर्वेदिक तरीके हैं लेकिन इन्हें भी अपनाने से पहले किसी एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.
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