13 Jun 2025
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हर कोई शरीर का एक्स्ट्रा फैट कम करना चाहता है क्योंकि इससे शरीर मोटा लगता है और आगे चलकर कई बीमारियां भी शरीर को घेर लेती हैं.
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लेकिन कई लोग फैट को लेकर कन्फ्यूज रहते हैं कि उनके शरीर में जो फैट है वो नॉर्मल फैट है या फिर लिपेडिमा. दरअसल, नॉर्मल फैट तो पूरे शरीर में अलग समझ आता है लेकिन लिपेडिमा में अक्सर लोअर बॉडी और हाथों में
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डॉ. राजीव मानेक के मुताबिक, 'लिपेडिमा फैट अपनी बनावट और व्यवहार में सामान्य फैट के समान नहीं है. लिपेडिमा फैट अक्सर पैरों, हाथों और जांघों में जमा होता है.'
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'सामान्य फैट के विपरीत लिपेडिमा फैट पर डाइट और एक्सरसाइज से कोई असर नहीं होता. लिपेडिमा फैट दर्द और अन्य समस्याओं का कारण बनता है. लिपेडिमा आज दुनिया भर में लगभग 11 प्रतिशत महिलाओं को प्रभावित करता है.'
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'डॉ. मानेक के अनुसार, लिपिडेमा फैट से पीड़ित व्यक्ति के लिए वजन कम करना चुनौतीपूर्ण होता है और एक्स्ट्रा वजन बढ़ने के कारण वह लगातार स्ट्रेस में भी रहता है.'
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आमतौर पर, नाभि के नीचे शरीर के निचले आधे हिस्से को प्रभावित करते हुए, हिप्स, जांघ और पैरों तक ये फैट फैलता है. जैसे-जैसे स्थिति बढ़ती है, चर्बी बढ़ती जाती है और रोगी का निचला शरीर भारी होता जाता है.
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लिपेडिमा फैट सेल्स लसीका तंत्र की वाहिकाओं को अवरुद्ध कर देती हैं जो आमतौर पर शरीर के तरल पदार्थ के स्तर को संतुलित करने और संक्रमण से बचाने में मदद करती हैं.
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'हालांकि, लिपेडिमा फैट से निपटने के लिए विशेषज्ञ की सलाह की आवश्यकता होती है. वह आपको आपकी स्थिति के मुताबिक सूजन-रोधी डाइट, हाइड्रेशन, एक्टिविटी या अन्य चीजें बताएंगे.'
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ऐसा माना जाता है कि महिला हार्मोन इसके होने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. यह अक्सर प्यूबर्टी, गर्भावस्था के दौरान, स्त्री रोग संबंधी सर्जरी के बाद और मैनोपॉज के समय शुरू होता है.
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इस स्थिति के लिए सम्पूर्ण डिकंजेस्टिव थेरेपी नामक उपचार की सिफारिश की जाती है. जिसमें मैनुअल लिम्फैटिक ड्रेनेज, एक्सरसाइज, लिपोसक्शन आदि.
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