25 Mar 2024
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19 जनवरी 1997 को हरियाणा के पलवल जिले के खंबी गांव में जन्मी देवी चित्रलेखा काफी कम उम्र में ही कथाओं से नाम कमा चुकी हैं.
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देवी चित्रलेखा 4 साल की उम्र से बंगाली गुरू गिरधारी बाबा की संस्था से जुड़ी थीं और वहीं से उनकी ट्रेनिंग शुरू हुई थी.
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देवी चित्रलेखा अपनी कथा और मोटिवेशनल थोट्स के कारण काफी फेमस हैं.
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देवी चित्रलेखा से एक इंटरव्यू में पूछा गया, 'आपसे कभी किसी ने कहा की आप सिंदूर नहीं लगातीं या मंगल सूत्र नहीं पहनतीं'?
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देवी चित्रलेखा ने कहा, 'मुझे बहुत बहुत सारी चीजें कहने को मिलती है लेकिन मैं हमेशा कहती हूं, कुछ चीजें जो आवश्यक होती हैं जैसे माथे का सिंदूर, मैं हमेशा लगाती हूं.'
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'मांग में जो सिंदूर होता है वो एक छोटी मात्रा में, मैं हमेशा लगाती हूं, भले ही वो लोगों को दिखे ना क्योंकि मैं दिखाने के लिए नहीं लगाती हूं.'
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'लेकिन कुछ चीज, अब जैसे मंगलसूत्र...वो कुछ शास्त्रीय परंपरा नहीं है. कहीं भी ऐसा नहीं लिखा कि जब शादी होगी तो उसे पहनना होगा.'
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'ये बाद में एक परंपरा चली जो लोग निभा रहे हैं. मैं वैष्णव परंपरा को फॉलो करती हूं और मुझे लगता है कि मेरे माथे में सिंदूर हो या ना हो, पर मेरे माथे पर चंदन होना चाहिए.'
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'मेरे गले में मंगलसूत्र हो या ना हो, मेरे गले में तुलसी की कंठी होनी चाहिए क्योंकि ये मेरी पहचान है और मुझे बचपन से घुट्टी पिलाई गई है संतों के द्वारा या गुरु के द्वारा.'
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'कह लीजिए मुझे लगता है मेरा कनेक्शन कृष्ण के साथ है, राधा रानी के साथ है तो अगर मैं माला पहन रही हूं, अगर मेरे माथे पे चंदन है तो मेरे लिए ये काफी है.'
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