10 June 2025
By: Aajtak.in
मोटापा इन दिनों एक बीमारी बन गया है, जिससे हर दूसरा व्यक्ति ग्रस्त है. जहां कुछ लोगों के पेट पर चर्बी जमा होती है, वहीं बहुत से लोग ऐसे हैं जिनकी जांघ मोटी होती है.
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मोटापे से परेशान लोग इसे घटाना चाहते हैं और एक्सरसाइज करने के साथ ही कई तरह के नुस्खे भी अपनाते हैं.
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बेली फैट हो या थाई फैट (जांघ का फैट) दोनों को ही घटाना बहुत मुश्किल होता है, लेकिन क्या आपने सोचा है कि इनमें से किसे घटाना ज्यादा मुश्किल होता है?
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अगर नहीं तो आज हम आपको बताएंगे कि बेली फैट घटाना ज्यादा मुश्किल होता है या फिर थाई फैट. इसके साथ ही यह भी जानेंगे कि दोनों में से कौन सा ज्यादा खतरनाक होता है.
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एक रिसर्च के अनुसार, स्वास्थ्य के लिए पेट की चर्बी को कूल्हे या जांघ की चर्बी से भी ज्यादा खतरनाक माना जाता है. पेट की चर्बी में आंत की चर्बी शामिल होती है, जो इंसुलिन रजिस्टेंस में बड़ी भूमिका निभाती है. इससे डायबिटीज होने का खतरा बढ़ता है और हार्ट संबंधी परेशानी भी होते हैं.
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रिसर्च्स ने यह भी कहा कि हार्ट हेल्थ और डायबिटीज के जोखिम को बढ़ाने के अलावा, पेट की चर्बी ओबिसिटी का रिस्क बढ़ाती है. दूसरी ओर, जिन लोगों में थाई फैट होता है वे मेटाबॉलिज्म संबंधी बीमारियों से सुरक्षित रहते हैं.
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यूं तो माना जाता है कि पेट और जांघ की चर्बी को कम करने के लिए ही कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है, लेकिन रिसर्च के अनुसार बेली फैट को कम करना ज्यादा मुश्किल हो सकता है.
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इसका कारण यह है कि बेली फैट में फैट सेल्स की मात्रा ज्यादा होती है, जो फैट-ब्रेकडाउन प्रॉसेस की तरफ ज्यादा अच्छे से रिस्पॉन्ड नहीं करती.
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आपकी बॉडी अल्फा और बीटा, दो फैट सेल्स में बंटा है. अल्फा सेल्स फैट-ब्रेकडाउन प्रॉसेस के प्रति ज्यादा रिस्पॉन्सिव और तेज होते हैं, वहीं बीटा एकदम उल्टा होते हैं.
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आपके पेट और एब्डॉमिनल क्षेत्र में बीटा सेल्स होते हैं जो इसे कम करना मुश्किल बनाते हैं. ऐसे में पेट की चर्बी कम करना सबसे मुश्किल होता है क्योंकि इसे तोड़ना बहुत कठिन होता है.
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