भागदौड़ भरी जिंदगी के चलते लोगों के खानपान और लाइफस्टाइल में काफी बदलाव आ गया है. समय ना हो पाने के चलते अधिकतर लोग रोजाना ऐसी चीजों का सेवन करते हैं जो सेहत के लिए काफी नुकसानदायक साबित होती है.
ये समस्या उन लोगों को होती है जो शराब का सेवन बहुत कम या बिल्कुल भी नहीं करते. इस समस्या में व्यक्ति के खानपान की वजह से उसके लिवर में अतिरिक्त चर्बी या फैट जमा हो जाता है, जिसकी वजह से लिवर खराब होने लगता है.
नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज के कोई लक्षण नजर नहीं आते हैं. लेकिन कभी-कभी ये लक्षण दिख सकते हैं जैसे, थकान और पेट के ऊपर दाहिने ओर दर्द और बेचैनी.
नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज लिवर में फैट जमा होने के कारण होता है तो कुछ लोगों में इसकी वजह अलग हो सकती हैं.
नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज के मुख्य कारण हैं- मोटापा, हाई ब्लड शुगर लेवल और खून में फैट का हाई लेवल.
कोलाइन एक ऐसा न्यूट्रिएंट है जिसे नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज के खतरे को कम करने के लिए जाना जाता है.
कोलाइन शरीर में मौजूद अधिक फैट को पचाने, मस्तिष्क का विकास करने, कोशिका झिल्ली को मेनटेन रखने और एसिटाइलकोलाइन (एक तरह का ब्रेन केमिकल) का उत्पादन करने का काम करता है.
अंडे, सोयाबीन, रोस्टेड चिकन, राजमा, ब्रोकली, पनीर, मछली, लाल आलू और लो फैट मिल्क में कोलाइन की मात्रा काफी ज्यादा पाई जाती है.