कोरोना की तीसरी लहर के आशंकाओं के बीच अब भारत में निपाह वायरस की चुनौती खड़ी हो गई है.
ये वायरस मलेशिया, सिंगापुर और बांग्लादेश में अपना कहर पहले ही ढा चुका है. भारत में भी पहली मौत हो गई है.
केरल सरकार ने उस इलाके के 3 किमी के दायरे में लॉकडाउन लगाया है, जहां निपाह की वजह से 12 वर्षीय बच्चे की मौत हुई है.
कोरोना की तरह निपाह वायरस भी काफी तेजी से फैलता है. ये चमगादड़ या फिर सूअर के जरिए इंसानों में आ सकता है.
खतरे की बात ये है कि एक संक्रमित इंसान निपाह वायरस को कई दूसरे लोगों तक पहुंचा सकता है.
निपाह वायरस जानवरों के जरिए इंसानों में फैलता है. इसका सबसे पहला मामला मलेशिया में पाया गया था.
इससे संक्रमित कोई चमगादड़, सूअर किसी फल का सेवन करता है, तो उस फल के जरिए भी निपाह इंसानों में पहुंच सकता है.
अगर किसी शख्स की निपाह वायरस की वजह से मौत हुई है तो उस परिवार के बाकी सदस्य भी इसकी चपेट में आ सकते हैं.
निपाह संक्रमित व्यक्ति में तेज बुखार, सिरदर्द, सांस लेने में तकलीफ,गले में खराश, एटिपिकल निमोनिया जैसे लक्षण दिखाई पड़ेंगे.
वहीं अगर स्थिति ज्यादा गंभीर रही तो इंसान इन्सेफेलाइटिस का भी शिकार हो सकता है और 24 से 48 घंटे में कोमा में जा सकता है.
निपाह वायरस के लक्षण किसी भी इंसान में 5 से 14 दिन के भीतर दिख सकते हैं. लेकिन कुछ मामलों में ये 45 दिनों के बाद नजर आते हैं.
आप इस वायरस के संपर्क में आए हैं तो इसका एक RT-PCR टेस्ट करवाया जा सकता है.
इसके अलावा PCR, सीरम न्यूट्रिलाइजेशन टेस्ट और एलाइज़ा टेस्ट के जरिए इस वायरस की पहचान की जा सकती है.
अभी तक उस ड्रग को भी सिर्फ लैबोरेट्री में टेस्ट किया गया है. इंसानों पर इस ड्रग का कितना असर रहेगा, ये साफ नहीं है.