23 Aug 2025
Photo: AI generated
वजन कम करने के लिए सही डाइट के साथ-साथ जो सबसे ज्यादा जरूरी है वो है वर्कआउट.
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वर्कआउट मुख्य रूप से दो तरह के होते हैं, पहला कार्डियो, जिसमें रनिंग, साइकिलिंग या HIIT (हाई-इंटेंसिटी इंटरवल ट्रेनिंग) जैसे एक्सरसाइज़ शामिल हैं. दूसरा, स्ट्रेंथ ट्रेनिंग, जिसमें डेडलिफ्ट्स या वेटेड सिट-अप्स जैसी एक्सरसाइज आती हैं.
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लेकिन अक्सर लोगों के मन में यह सवाल आता है कि वजन कम करने के लिए कार्डियों और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग में क्या ज्यादा बेहतर है.
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इस बारे में फिटनेस एक्सपर्ट स्पूर्ति एस का कहना है कि स्ट्रेंथ ट्रेनिंग और कार्डियो दोनों के अपने-अपने फायदे हैं और ये वजन कंट्रोल करने में अलग-अलग तरीके से मदद करते हैं.
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उनका कहना है कि अगर आप इन दोनों के फर्क को समझ लें तो आपका वजन घटाने का सफर और ज्यादा आसान और असरदार हो जाएगा.
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'स्ट्रेंथ ट्रेनिंग मसल्स बनाने में मदद करती है. इसमें ऐसे एक्सरसाइज शामिल होते हैं जो किसी बल के खिलाफ काम करती हैं, जैसे वेट लिफ्टिंग. इन एक्सरसाइज का मकसद मसल्स को ज्यादा मजबूत बनाना, स्टेमिना बढ़ना और जॉइंट्स हेल्थ को बेहतर करना है.
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'जहां स्ट्रेंथ ट्रेनिंग मसल्स बनाने पर फोकस करती है, वहीं कार्डियो तेजी से कैलोरी बर्न करने में मदद करता है. कार्डियो करने से हार्ट बीट बढ़ती है और शरीर में ऑक्सीजन की खपत ज्यादा होती है. इन एक्सरसाइज को करने से हार्ट हेल्थ बेहतर होती है, स्टैमिना बढ़ता है और कैलोरी जल्दी बर्न होती है.
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स्ट्रेंथ ट्रेनिंग और कार्डियो दोनों ही जरूरी हैं. स्ट्रेंथ ट्रेनिंग का असर तुरंत नहीं दिखता, लेकिन यह धीरे-धीरे शरीर को पतला और टोन करता है, साथ ही उम्र बढ़ने पर मांसपेशियों के नुकसान से भी बचाता है. दूसरी तरफ, कार्डियो तेजी से कैलोरी बर्न कर वजन घटाने में मदद करता है.
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ऐसे में दोनों में से किसी एक वर्कआउट को चुनने के बजाय बेहतर होगा कि आप दोनों को मिलाकर करें. ऐसा करने से शरीर मजबूत होगा, मसल्स टोंड होंगे और वजन भी आसानी से घटेगा.
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