19 Jun 2025
जन्म के 6 महीने के बाद से लेकर एक साल तक नवजात शिशुओं को आयरन की दवा पिलाई जाती है. इसे काफी जरूरी माना जाता है क्योंकि इससे बच्चों में आयरन की कमी को पूरी होती है.
आमतौर पर एक साल के बाद जब बच्चा खाना-खाने की स्थिति में आ जाता है तो आयरन की दवा को डॉक्टर बंद कर देते हैं क्योंकि इसके बाद बच्चा खाने के जरिए आयरन लेना शुरू कर देता है.
अक्सर देखा जाता है कि पेरेंट्स बच्चों को आयरन ड्रॉप्स देते समय कुछ गलतियां कर बैठते हैं.
हम आपको कुछ ऐसी गलतियों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हें आपको बच्चों को आयरन की दवा देते समय नहीं करना चाहिए .
आयरन के ड्रॉप्स आप बच्चे को डायरेक्ट ना पिलाएं. आयरन ड्रॉप को डायरेक्ट पिलाने से बच्चे के दांत और जीभ में काले दाग पड़ सकते हैं.
आयरन की दवा को 1 या दो चम्मच जूस के साथ मिक्स करके पिलाएं. जूस में विटामिन सी होता है जो इरोन के अब्जॉर्प्शन को भी बहुत ज्यादा बढ़ा देता है.
आयरन के ड्रॉप्स को कभी भी खाना-खाने के बाद या फिर दूध के साथ बिल्कुल नहीं देना चाहिए. दूध में कैल्शियम होता है जो आयरन के अब्जॉर्प्शन को कम कर देता है.
आयरन के ड्रॉप्स को हमेशा खाना-खाने के दो घंटे बाद या खाली पेट हमेशा जूस के साथ देना चाहिए.
अगर आपके डॉक्टर ने आयरन के साथ कैल्शियम और मल्टीविटामिन के ड्रॉप्स भी दिए हुए हैं तो ध्यान रखें कि आयरन के ड्रॉप्स और कैल्शियम के ड्रॉप्स के बीच में कम से कम दो घंटे का गैप हो. क्योंकि कैल्शियम, आयरन के अब्जॉर्प्शन को कम कर देता है.