पब और बार में क्यों होती है धीमी रोशनी? वजह जानते हैं आप

बार-डिस्को-पब वगैरह में घुसने पर अक्सर रोशनी बेहद धीमी होती है. 

क्या इसका मकसद वहां मौजूद लोगों को प्राइवेसी देना भर है? 

क्या यह किसी किस्म की परंपरा है कि शराब हमेशा कम रोशनी में ही परोसी जाए. 

जी नहीं, ऐसा बिल्कुल नहीं है. ऐसा करने के पीछे पूरा का पूरा विज्ञान है. 

70 के दशक में डॉक्टर जॉन फ्लिन ने रोशनी और इसके मनोविज्ञान को लेकर बड़ी रिसर्च की है. 

रिसर्च का लब्बोलुआब यह है कि किसी जगह की रोशनी से इंसानी मूड अच्छा भी हो सकता है और खराब भी. 

बार की रोशनी कम होने से वहां जाने वाले शख्स की प्राइवेसी और इंटिमेंसी सुनिश्चित होती है. 

इसके उलट तीखी ब्राइट रोशनी का मकसद ध्यान खींचना है. शॉपिंग मॉल्स से लेकर दुकानों तक में तेज रोशनी होती है. 

जब लोग कम रोशनी वाले सुकून भरे माहौल में होते हैं तो वे ज्यादा वक्त बिताते हैं और ज्यादा शराब भी ऑर्डर करते हैं. 

कई स्टडीज में भी साबित हो चुका है कि बार, पब आदि की रोशनी का सीधा असर उनके व्यवसाय और कमाई पर भी पड़ता है.