दुनिया की कुछ सबसे बेहतरीन व्हिस्की स्कॉटलैंड में तैयार की जाती हैं. यहां बनी व्हिस्की में कुछ तो ऐसा है, जिसकी बराबरी करना दूसरे मुल्कों के बस की बात नहीं.
खबर है कि भारत अब ब्रिटेन की स्कॉच व्हिस्की का सबसे बड़ा बाजार बन गया है. स्कॉच के इम्पोर्ट में भारत ने फ्रांस जैसे देश को पछाड़ दिया है.
एलीट वर्ग की शराब समझे जाने वाली स्कॉच का बढ़ता बाजार इस बात की तस्दीक करता है कि भारतीयों की जुबान पर महंगी विदेशी शराब का भी जायका चढ़ने लगा है.
कोई भी व्हिस्की तभी स्कॉच कहलाएगी, जब वो स्कॉटलैंड में बनी हो. अगर स्कॉटलैंड में नहीं बनी तो उसे स्कॉच नहीं कहेंगे. यही पहली शर्त है.
स्कॉच के लिए यह भी जरूरी है कि उसे ऐजिंग (Ageing) की प्रक्रिया से गुजारा जाए. ऐज का मतलब व्हिस्की को कुछ सालों तक खास तरह के पीपों में स्टोर करके रखा जाए.
इसी वजह से आपने स्कॉच की बोतलों पर 5 साल, 12 साल, 15 साल लिखा हुआ देखा होगा. इस जटिल प्रक्रिया से गुजरकर ही स्कॉच का एक अलग फ्लेवर तैयार होता है.
बनाते वक्त ज्यादा संसाधनों के इस्तेमाल और सीमित उपलब्धता की वजह स्कॉच आम व्हिस्की की तुलना में ज्यादा महंगे होते हैं. स्कॉच और आम व्हिस्की में फर्क क्या है, नीचे जानिए.