वाइन के शौकीनों में ऐसा शायद ही कोई होगा जिसने सूला का स्वाद ना चखा हो. वाइन में भारतीयों की पहली पसंद सूला ही है.
Credit: getty images
सुला उन स्वदेसी ब्रांड में शुमार है, जिसने वाइन को आम भारतीयों के बीच भी पहुंचाने और इसे स्वीकार्य बनाने का काम किया.
Credit: getty images
आपको जानकर हैरानी होगी कि इस वाइन को बनाने वाले शख्स ने अपनी मां के नाम पर सुला वाइन का नाम रखा था और बड़ी मुश्किल से इस ब्रांड को खड़ा किया. आइए जानते हैं पूरी कहानी-
Credit: getty images
सुला वाइनयार्ड्स के निर्माता का नाम राजीव सामंत है. कैलिफोर्निया में नौकरी करने के बाद वह भारत में बिजनेस करना चाहते थे.
Credit: getty images
भारत आने के बाद जब वह नासिक स्थित अपनी पैतृक जमीन देखने गए तो उन्हें वाइन इंडस्ट्री में कदम रखने का आइडिया आया.
उन्होंने पाया कि नासिक की आबोहवा वाइन तैयार करने में इस्तेमाल अूंगरों के उत्पादन के बिलकुल माकूल है. उन्होंने 30 एकड़ में फैली पैतृक जमीन पर सुला वाइनयार्ड्स की नींव रखी.
परिवार और दोस्तों से 5 करोड़ की रकम जुटाकर सामंत ने नासिक में पहली वाइनरी शुरू की. 2 साल संघर्ष करने के बाद उन्हें वाइनरी का लाइसेंस मिला. . काफी संघर्ष के बाद सुला ने साल 2000 में पहली बार वाइन बेचना शुरू किया.
वाइन को मिला सुला नाम दरअसल, राजीव की मां सुलभा से प्रेरित है. आज सुला वाइनयार्ड 1800 एकड़ में फैला है और यह एक से बढ़कर एक किस्म की वाइन बनाती है.
2019 में सुला वाइनयार्ड चीन को छोड़कर पहली एशियन वाइनरी बन गई, जिसने 12 महीने में 10 लाख केस घरेलू निर्मित वाइन बेचे.