इंडिया में बीयर की डिमांड का 60 प्रतिशत हिस्सा किंगफिशर पूरा करती है. किंगफिशर बीयर की शुरूआत कैसे हुई और यह सभी की पसंदीदा कैसे बनी, इसकी कहानी बड़ी दिलचस्प है. आइए जानते हैं.
इस कहानी की शुरूआत साल 1887 में हुई, इस दौरान भारत में ब्रिटिश राज की शुरूआत हो चुकी थी. ब्रिटिश मैन थॉमस लेशमेन ने साउथ इंडिया में Nilgiri Brewery और Castle Brewery को खरीदा.
शराब की इन दोनों भट्टी को मिलाकर उन्होंने ''United Brewery'' बनाई. यह कंपनी इतना मुनाफा कमा रही थी कि तमिलना़डु की मशहूर 'British Brewery' समेत साउथ इंडिया में शराब बनाने वाली सारी भट्टियां इसके साथ जुड़ गईं.
धीरे-धीरे करके भारतीयों को शराब यानी बीयर बनाने का यह बिजनेस समझ आने लगा था और पता चल गया था कि जिस हिसाब से यह कपंनी मुनाफा कमा रही है, आगे चलकर भारत में इसका स्कोप और भी ज्यादा बढ़ने वाला है.
बस उसी समय विठ्ठल माल्या के दिमाग में आइडिया चमका और उन्होंने सोचा कि यह बिजनेस तो किसी इंडियन को करना चाहिए और उन्होंने इस कंपनी को जॉइन कर लिया.
बता दें कि विठ्ठल माल्या विज्य माल्या के पिताजी थे, जिन्होंने इस कंपनी को और आगे बढ़ाया. हालांकि कंपनी अभी भी अंग्रेजों के हाथ में ही थी.
समय का पहिया धूमा और भारत देश आजादी की ओर बढ़ने लगा. इस दौरान विठ्ठल माल्या ने धीरे-धीरे करके कपंनी के शेयर खरीदना शुरू कर दिए और आजादी तक वह कपंनी के पहले भारतीय डायरेक्टर बन गए.
इसके बाद विठ्ठल माल्या ने कपंनी का बिजनेस चारों तरफ फैला दिया. साल 1980 में बेटे विजय माल्या ने Kingfisher Beer को दोबारा लॉन्च किया. पिता की मौत के बाद विजय माल्या ने ही सारा बिजनेस संभाला.
पहले किंगफिशर की बोतल, फिर कैन और फिर साल 1999 में जब किंगफिशर की स्ट्रॉन्ग बीयर लॉन्च की गई तो यह लोगों को बेहद पसंद आई और इसने पूरे मार्केट में अपनी अच्छी पकड़ बना ली.
किंगफिशर बीयर को और भी ज्यादा मशहूर बनाने के लिए विजय माल्या ने कई जाने माने सेलिब्रिटी से ऐड करवाया, बड़े-बड़े पोस्टर लगवाए लेकिन टर्निंग पॉइंट तब आया जब साल 2003 में किंगफिशर एयरलाइन लॉन्च की गई.
किंगफिशर ब्रांड को और बढ़ाने के लिए पानी की बोतल, जूस और ना जाने कितनी चीजें किंगफिशर के नाम से लॉन्च की गईं. यही कारण है कि किंगफिशर आज देश की सबसे ज्यादा बिकने वाली बीयर है.
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