कश्मीर सिर्फ अपनी खूबसूरती ही नहीं बल्कि अपने खान-पान के लिए भी जाना जाता है. चाहे वो वेज हो या नॉनवेज.
नॉनवेज आइटम बनाने में कश्मीर सबसे आगे माना जा सकता है क्योंकि यहां परोसा जाता है वाजवान. आइए जानते हैं वाजवान है क्या-
कश्मीरी शादियों में नॉनवेज की 12 से ज्यादा डिशेज़ एक साथ परोसी जाती हैं जिसे वाजवान कहते हैं. इसमें बनने वाला हर ऩॉनवेज आइटम चूल्हे पर बड़ी बारीकी और शिद्दत से बनाया जाता है.
कश्मीर का वाजवान देश-दुनिया में मशहूर है. आग पर रखे बड़े-बड़े पतीलों में ना जानें कितनी स्वादिष्ट डिश बनाई जाती हैं. फिर पूरी दावत को एक साथ परोसा जाता है.
इस आलीशान शाही दावत में हर कोई शामिल होना चाहता है. तो आइए जानते हैं कि वाज़वान की शुरुआत कैसे हुई-
कश्मीर में वाजवान बनाना 800 साल पहले शुरू किया गया था. सिल्क रूट से होकर कई साल पहले फारसी व्यापारी और कुक आए जो कई तरह के जायके अपने साथ लाए.
इसके अलावा यह भी माना जाता है कि 14वीं सदी में तैमूर जब भारत आए तो उनके साथ में आए सिपाही, कारीगर को कश्मीर भा गया. जिसमें से कुछ लोग भारत ही रह गए.
फारसी लोग जो भारत ही रह गए वह इस तरह की नॉनवेज डिश बनाया करते थे जिससे वाजवान बना. इसमें शामिल होने वाली डिशेज़ तबक माज़, यखनी फारसी नाम हैं, इसीलिए माना जाता है कि वाजवान फारसी की देन है.
खाने को सर्व करने का तरीका भी कश्मीर में यहीं से आया. वाजवान यानी कि नॉनवेज प्लेटर में 36 डिश शामिल होती हैं.
कश्मीरी वाज़वान के सभी पकवान टिंबर में पकाए जाते हैं. जिससे खाना धीरे-धीरे पके और अंत में स्वाद लाजवाब निकले. वाज़वान को लड़की पर पकाया जाता है.
वाज़वान के लिए कौन-सी चीज कैसे तैयार करनी है, इसका सारा फैसला वस्ता के ऊपर होता है. वस्ता का अर्थ है 'हेडकुक'.
कहा तो ये भी जाता है कि कश्मीर में वाजा की इतनी डिमांड है शादी की तारीख भी उसी दिन फिक्स होती है जिस दिन वाजा के पास समय होता है.
वाज़वान के लिए मटन गोश्त का चुनाव की भी अच्छी परख की जाती है. वाज़वान का खाना तैयार करने के लिए भेड़ के मीट को चुना जाता है और खास बात यह है कि भेड़ भेड़ के हर हिस्से से अलग-अलग तरह की डिश बनाई जाती हैं.