भारत में शौक से खाई जाती है, लेकिन भारतीय नहीं है जलेबी...जानिए कहां से आई

31 July 2025

Photo: AI Generated

गोल-गोल दिखने वाली जलेबी का नाम सुनते ही सभी के मुंह में मिठास घुल जाती है. शायद ही कोई भारतीय होगा जो रस से टपकती इस मिठाई का दीवाना ना हो.

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जलेबी के दीवाने पूरे भारत में फैले हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत की सबसे मशहूर मिठाइयों में शामिल जलेबी असल में भारतीय नहीं है? 

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चौंकिए मत क्योंकि यही सच है. इतिहास के पन्नों को  पलटने पर हमें जानकारी हासिल हुई कि जलेबी की जड़ें भारत से नहीं बल्कि पश्चिम एशिया से जुड़ी हैं.

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कहां से आई जलेबी? कुछ लोगों का मानना है कि जलेबी का नाम अरबी शब्द 'जलाबिया' से लिया गया है, जिसका जिक्र मध्यकालीन किताब 'किताब-अल-तबीक' में किया गया है. 

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जलेबी को पहली बार पश्चिम एशिया के ईरान में बनाया गया था. अब सवाल ये है कि आखिर जलेबी भारत कैसे आई? तो बता दें इसे फारसी और तुर्की व्यापारियों द्वारा भारत लाया गया था.

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हालांकि, कुछ लोगों का ये भी मानना है कि जलेबी पूरी तरह से भारतीय मिठाई है और इसका पुराना नाम 'कुंडलिका' या 'जल-वल्लिका' था. प्राचीन किताबों में इसका जिक्र है. 

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जलेबी रस से भरी यानी रसीली होती है इसलिए इसका नाम 'जल-वल्लिका' पड़ा और धीरे-धीरे इसे जलेबी बुलाया जाने लगा.

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जलेबी को अलग-अलग देशों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है. लेबनान में इसे 'जेलाबिया' कहा जाता है. वहां इसका आकार लंबा होता है.

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ईरान में जलेबी को 'जुलुबिया', ट्यूनीशिया में 'ज'लाबिया' और अरब में 'जलाबिया' कहा जाता है. अफगानिस्तान में इसे मछली के साथ परोसा जाता है. 

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श्रीलंका में इसे 'पानी वलालु' कहते हैं. वहां इसे उड़द और चावल के आटे से बनाया जाता है. नेपाल में इसे 'जेरी' कहा जाता है. भारत में उत्तर-पश्चिम में इसे 'जलेबी', महाराष्ट्र में 'जिलबी',  बंगाल और बांग्लादेश में 'जिलपी' कहा जाता है. 

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