11 July 2025
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भारतीय खाना चावल के बिना अधूरा माना जाता है. चाहे दाल-चावल, सब्जी-चावल, खिचड़ी हो या फिर पुलाव किसी न किसी रूप में चावल हमारे रोज के खाने का अहम हिस्सा है.
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चावल में कई आवश्यक पोषक तत्व होते हैं जो हमारे शरीर के लिए जरूरी माने जाते हैं. लेकिन अक्सर कहा जाता है कि डायबिटीज के मरीजों को चावल खाने से बचना चाहिए.
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ऐसे में आज हम एक्पर्ट से जानेंगे कि क्या चावल खाने से डायबिटीज होती है और क्या सच में डायबिटीज के मरीजों को चावल नहीं खाना चाहिए?
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एक्सपर्ट का कहना है कि चावल खाने से डायबिटीज सीधे नहीं होती, बल्कि ये हमारी लाइफस्टाइल, जेनेटिक्स और खाने के तरीकों पर निर्भर करता है.
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दरअसल, आप जब भी खाना खाते हैं तो शरीर में ब्लड में शुगर लेवल बढ़ जाता है. और शुगर आपके ब्लड में कितनी तेजी से रिलीज होता है, उसे गलत माना जाता है.
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एक पैरामीटर विकसित किया गया है, जिसे ग्लायसेमिक इंडेक्स (GI) कहा जाता है. अगर किसी चीज को खाने से GI 55 से ज्यादा है, तो वो हाई GI मानी जाती है. तो वहीं किसी चीज को खाने से धीरे-धीरे शुगर बढ़ती है तो ये हेल्दी माना जाता है.
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एक्सपर्ट का कहना है कि GI चावल के किस्मों पर भी डिपेंड करता है. किसी चावल का GI ज्यादा होता है तो किसी का कम. ब्राउन राइस और पारबॉयल्ड (सेला) राइस का GI कम होता है, जिससे शुगर धीरे-धीरे बढ़ती है.
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वहीं चावल आप कैसे खाते हैं उस पर भी उसका GI निर्भर करता है. अगर आप चावल को दाल या सब्जी के साथ मिलाकर खाते हैं तो उसका GI कम हो जाता है. जहां सिर्फ चावल खाने ज्यादा नुकसान होता है, वहीं दाल के साथ बराबर मात्रा में चावल खाने से कोई नुकसान नहीं होता.
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एक्सपर्ट का कहना है कि अगर चावल खाने से डायबिटीज होता तो भारत के दक्षिणी राज्यों में डाइबिटीज के मरीज ज्यादा होते हैं. पर वहां तो डायबिटीज का प्रतिशत 10% से कम है. जबकि पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में जहां चावल बहुत कम खाया जाता है, वहां डायबिटीज 12% से ज्यादा है.
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