हाइवे पर चलते हुए किनारों पर ना जाने कितने ढाबे मिल जाते हैं और वाकई ढाबे के खाने का स्वाद ही अलग होता है.
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ढाबे की दाल-तड़का, मिक्स वेज, तंदूरी रोटी और ना जाने कितनी डिशेज़ हैं जिनका स्वाद लेने के लिए लोग ढाबे पर पहुंचते हैं.
आप जब भी कहीं लंबे सफर पर जाते होंगे तो आपको रास्ते में ढाबे जरूर नजर आते होंगे लेकिन क्या अपने कभी सोचा है कि आखिर ढाबे की शुरुआत कैसे हुई?
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ढाबे और सड़क का कनेक्शन काफी दिलचस्प है. आइए जानते हैं कि कैसे हिंदुस्तान में ढाबा शुरू हुआ.
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भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के बाद जो लोग पंजाब आए उन्होंने रोज शाम को सड़क किनारे खाना बनाकर खाना शुरू किया.
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रोजी रोटी के लिए उन्होंने राहगिरों को खाना बेचना भी शुरू कर दिया और ऐसे ही भारत में ढाबों का जन्म हुआ.
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इन ढाबों में तंदूर में चिकन की कई डिश तैयार करी गईं, जो आज देशभर में खाई जाती हैं. सालों पहले हर गली, मोहल्ले या गांव के बाहर एक बड़ा तंदूर हुआ करता था.
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गली के बाहर लगे तंदूर में आस-पास की सभी औरतें मिलकर रोटियां बनाती थीं.
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