BY: Mradul Singh Rajpoot
काजू को ड्राईफ्रूट्स का राजा कहा जाता है. काजू खाने से डाइजेशन, हार्ट हेल्थ, कोलेस्ट्रॉल हेल्थ सही रहती है. इसमें मौजूद विटामिन और मिनरल्स जैसे पोटैशियम, विटामिन ई, विटामिन बी6 और फोलिक एसिड भी शरीर के लिए फायदेमंद हैं.
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अधिकतर लोगों का मानना है कि काजू को पेड़ से तोड़ा जाता है और उसके बाद उसे पैक करके मार्केट में बेचा जाता है.
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लेकिन ऐसा नहीं है. काजू को पैक करने से पहले काफी लंबी प्रोसेसिंग से गुजरना होता है. तो आइए आज हम आपको बताते हैं कि काजू कैसे तैयार होता है.
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काजू, ब्राजीलियन नट है. इसकी खेती केरल, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, तामिलनाडु, आंध्र प्रदेश, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल के साथ-सात झारखंड और उत्तर प्रदेश के कई जिलों में भी की जाने लगी है.
काजू का पौधा गर्म तापमान में अच्छी तरह लगता है. इसकी खेती के लिए जरूरी तापमान 20 से 35 डिग्री के बीच होता है. इसके अलावा, इसे किसी भी प्रकार की मिट्टी पर उगाया जा सकता है.
काजू के पौधे को लगाने के बाद बड़ा होने पर उसमें फल लगता है जो धीरे-धीरे बढ़ा होता है.
पहले काजू बनाने का वीडियो देखें, फिर इसे बनाने का तरीका समझते हैं.
पकने के बाद काजू का फल सेब जैसा दिखता है और उसमें नीचे की ओर काजू लगा होता है.
काजू के फल को पकने के बाद मशीनों से तोड़ा जाता है और उनकी सफाई की जाती है.
फिर काजू के शेल (खोल) को फल से अलग किया जाता है.
फिर काजू को करीब 2 मिनट के लिए 150 डिग्री सेल्सियस पर रोस्ट किया जाता है. यह काजू मेकिंग की पहली प्रोसेस होती है.
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रोस्ट होने के बाद काजू के सेल का रंग काला हो जाता है और फिर इसके बाद वह शेलिंग सेक्शन में जाते हैं, जहां उनके शेल को हटाया जाता है.
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इसके बाद उन्हें ट्रे में इकट्ठा कर लिया जा सकता है और उन्हें 110 डिग्री सेल्सियस पर 1 दिन तक स्टोर करके रखा जाता है.
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फिर काजू को 1 दिन तक ठंडा किया जाता है और इसके बाद काजू के ऊपर चढ़ी हुई एक और परत निकाली जाती है.
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फिर छिले हुए काजुओं को उनके साइज और काजुओं की कतरन के मुताबिक, अलग-अलग इकट्ठा कर लिया जाता है.
इसके बाद काजुओं को पैकेजिंग यूनिट में भेजा जाता है और जहां उनकी क्वालिटी चैक की जाती है.
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आखिर में जाकर काजू को छाना जाता है और उनकी धूल निकाली जाती है.
फिर काजुओं को डिब्बे में पैक कर दिया जाता है और अब वह मार्केट में बिकने के लिए तैयार हो जाते हैं.