शरीब के शौकीन बीयर और व्हिस्की दोनों का ही लुत्फ उठाना पंसद करते हैं.
किसी को बीयर पसंद आती है तो कोई हमेशा कांच के गिलास में व्हिस्की का पैग मारना पसंद करता है.
व्हिस्की और बीयर दोनों ही गेहूं, बाजरा, मक्का आदि अनाजों से बनकर तैयार होती है, लेकिन फिर इनके स्वाद और टेक्सचर में इतना अंतर क्यों आ जात है? आइए जानते हैं.
जी हां, व्हिस्की और बीयर बनती तो इन्हीं अनाजों से है, लेकिन तैयार करने का प्रोसेस इन्हें अलग बनाता है.
बीयर को ''Brewing'' प्रक्रिया का उपयोग करके बड़े बैचों में बनाया जाता है, जबकि व्हिस्की को 'Distilliation' नामक प्रक्रिया से तैयार किया जाता है.
Brewing प्रोसेस में अनाजों को अंकुरित यानी मॉल्ट किया जाता है. इसके बाद इन्हें मैश किया जाता है. मैश किए हुए मिश्रण को मशीन में डालकर पानी के साथ उबाला जाता है.
इसके बाद मैश किए हुए मिश्रण को 'Lautering' की प्रक्रिया से होकर गुजरना पड़ता है. इसमें अनाजों में पानी मिलाकर शुगर निकाली जाती है.
इसके बाद फर्मेंटेशन की प्रक्रिया में शुगर में खमीर मिलाया जाता है जो शुगर को खाने लगता है. इससे कार्बन डाइऑक्साइड और एल्कोहल बाहर निकल जाते हैं.
इसके बाद फिर टॉप फर्मेंटेशन, बॉटम फर्मेंटेशन, सेकेंडरी फॉरमेशन प्रोसेस से बियर को पूरी तरह से तैयार कर लिया जाता है.
अब बात करते हैं व्हिस्की की. इसमें भी अनाजों को मॉल्ट करने के बाद मैच्योर किया जाता है फिर फर्मेंटेशन का प्रोसेस भी पूरा होता है.
फर्मेंटेशन के बाद बीयर बनाने के लिए मिश्रण को मशीन में ठंडा किया जाता है और व्हिस्की को डिस्टिल किया जाता है. यहीं से दोनों को बनाने का प्रोसेस अलग होता है.
फर्मेंटेशन प्रक्रिया के दौरान जमा किए हुए लिक्विड को प्याज की शेप में बनी मशीन में निर्धारित तापमान पर गर्म किया जाता है, इससे ऐल्कोहल और पानी अलग हो जाते है. इस प्रोसेस को Distilliation कहते हैं.
इसके बाद निकलकर आती सिर्फ स्प्रिट. इस स्प्रिट को ओक बैरल में डालकर सालों तक मैच्योर किया जाता है फिर तैयार होती व्हिस्की.
यानी कि फर्मेंटेशन के बाद बीयर और व्हिस्की बनाने का प्रोसेस बदल जाता है. इसी कारण यह एक दूसरे से अलग हैं.
(Disclaimer: यह जानकारी फूड एंड वाइन एक्सपर्ट्स के हवाले से दी गई है. इसका मकसद किसी भी तरीके से शराब पीने को बढ़ावा देना नहीं है.)