By-Mradul Singh Rajpoot
आज के समय में जब भी आप फल लेने के लिए मार्केट जाते हैं तो फलों की चमक और फ्रेशनेस देखकर मन खुश हो जाता है और आप अधिक मात्रा में फल खरीद लेते हैं.
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लेकिन क्या आपको लगता है कि चमक और बेदाग दिखने वाले ये फल सच में फ्रेश होते हैं?
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दरअसल, पिछले दिनों ऐसे कई वीडियोज सामने आए हैं जिनमें दावा किया गया है कि मार्केट में मिलने वाले चमकदार सेब के ऊपर मोम की परत चढ़ी होती है.
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फलों की यह चमक कृत्रिम मोम कोटिंग के कारण होती है जो कि उनकी सेल्फ लाइफ बढ़ाने के लिए की जाती है. अब मोम के बारे में सुनकर हर किसी को अपनी हेल्थ के बारे में चिंता होगी.
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US APPLE की ऑफिशअल वेबसाइट के मुताबिक, 'ताजे फलों में 80 से 95 प्रतिशत तक पानी होता है. लेकिन जब उन्हें पेड़ से तोड़ लिया जाता है तो उनकी नमी लगातार कम होती जाती है और इसके कारण वह सूखने लगते हैं. उनकी नमी को बरकरार रखने के लिए उन पर मोम की कोटिंग की जाती है.'
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ऑस्ट्रेलियन सेब की Aple ऑफिशिअल वेबसाइट का कहना है, 'सेब में प्राकृतिक रूप से मोम की परत होती है जिससे फल की नमी बनी रहती है. पेड़ से तोड़ने के बाद जब उन्हें साफ किया जाता है तो वह प्राकृतिक परत हट जाती है. इसलिए प्राकृतिक मोम की जगह खाने योग्य मोम लगाई जाती है.'
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Aple का कहना है, 'सेब पर 2 तरह के मोम लगाए जाते हैं. पहला कारनौबा मोम (Carnauba wax ) जिसे ताड़ के पेड़ के पत्तों से प्राप्त किया जाता है. इसमें चमक कम होती है.'
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'दूसरे प्रकार की मोम होती है, शेलैक मोम (Shellac Wax). इसे लाख के कीड़े (Lac bug) से निकाले गए लिक्विड से बनाया जाता है जिसका उपयोग फीमेल कीड़ा अपने अंडों को सुरक्षित रखने में करती है.'
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Aple का कहना है, 'कारनौबा वैक्स और शेलैक दोनों वैक्स अमेरिका, यूरोप और ब्रिटेन सहित पूरी दुनिया में अप्रूव्ड है.'
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सेब को साफ करने के बाद जब सेब के ऊपर की प्राकृतिक मोम हट जाती है तो उन्हें कृत्रिम मोम के घोल में डुबोया जाता है या ब्रश से उन पर मोम लगाई जाती है या फिर उन पर स्प्रे करके मोम की पतली परत लगाई जाती है.
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पूरे सेब की कोटिंग के लिए मोम की केवल एक या दो बूंदों का उपयोग किया जाता है.
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फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) के मुताबिक, वेजिटेबल वैक्स का फल सब्जियों पर प्रयोग हो सकता है. भारत में ज्यादातर फलों पर खजूर के पत्तों से मिलने वाले कैरानौबा मोम की परत चढ़ी होती है.
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भारत के हिमाचल प्रदेश के किसान भी सेब पर करीब डेढ़ दशकों से सेबों पर मोम की परत चढ़ाते आ रहे हैं. ताकि, सेब बिना फ्रिज के लंबे समय तक ताजे रह सकें.
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नींबू, अंगूर, केला, खीरा, टमाटर, तरबूज, संतरा और आड़ू जैसे फलों व सब्जियों पर मोम की परतें चढ़ाई जाती हैं.
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एक्सपर्ट्स का कहना है कि फल, दाल, मधुमक्खी के छत्ते और सब्जियों से मिलने वाले मोम से सेहत को कोई नुकसान नहीं होता है. क्योंकि यह मोम पेट में घुलती नहीं है और मल के दौरान शरीर से बाहर आ जाती है.
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मित्रा एस.के फूड टेस्टिंग सर्विसेज के लेबोरेटरी हेड डॉ. सौम्यदीप मुखोपाध्याय के मुताबिक, 'जिस मोम में मॉर्फोलिन शामिल होता है, वह लिवर या किडनी फेल का कारण बन सकता है. मतली, उल्टी और पेट दर्द हो सकता है. इसलिए हमेशा FSSAI अप्रूव्ड फल ही खरीदें.'
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अन्य एक्सपर्ट्स का कहना है कि मोम की कोटिंग वाले फलों में पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती जिससे वह अंदर से जल्दी खराब हो सकते हैं.
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मोम वाले अधिक सेब का सेवन करने से आपके डाइजेशन पर असर हो सकता है और अगर श्वसन संबंधी समस्याएं, अल्सर या अन्य इंफेक्शन भी हो सकते हैं. तो अगली बार अगर जब भी आप सेब लेने जाएं तो पहले पता करें कि वह FSSAI अप्रूव्ड हैं या नहीं.
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