जब दवा के तौर पर इस्तेमाल हुई दारू! जानें पूरा इतिहास
शराब पीना सेहत के लिए घातक है, यह एक स्वीकार्य तथ्य है. साल दुनिया भर में इसकी वजह से 30 लाख जानें जाती हैं.
इंसानी इतिहास ऐसे उदाहरणों से भरा पड़ा है, जब बीमारियों के इलाज और बेहतर सेहत के लिए शराब का इस्तेमाल हुआ.
फिर चाहे पेट दर्द हो, कब्ज या फिर फ्लू और मलेरिया जैसी उस दौर की महामारियां, शराब हर मर्ज की दवा बनती रही.
जैसे-जैसे लोग यह समझते गए कि यह सिर्फ दवा ही नहीं, 'दारू' भी है, दुनिया शराब के बुरे असर में घिरती गई.
प्राचीन मिस्र और चीन में शराब के दवा के तौर पर इस्तेमाल के सबसे शुरुआती उदाहरण मिलते हैं.
प्राचीन वक्त में जड़ी बूटी मिली एल्कॉहल का इस्तेमाल अस्थमा, कफ, कब्ज से लेकर पीलिया तक के इलाज में हो रहा था.
17वीं शताब्दी में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी भारत में मलेरिया से बचने के लिए जिन एंड टॉनिक वॉटर का इस्तेमाल करती थी.
ब्रिटिश पीएम विंस्टन चर्चिल ने एक बार कहा था, 'जिन एंड टॉनिक ने ब्रिटिश सल्तनत के सभी डॉक्टरों की तुलना में ज्यादा अंग्रेजों की जानें बचाई हैं.'
19वीं शताब्दी में जब फ्रेंच सैनिक उत्तरी अफ्रीका पहुंचे तो उन्होंने हरे रंग की शराब एबसिंथ को बुखार, मलेरिया, दस्त आदि के दवा के तौर पर लिया.
1918 में पूरी दुनिया स्पेनिश फ्लू महामारी की चपेट में आ गई थी. उस वक्त बहुत सारे लोगों ने इस महामारी से लड़ने के लिए व्हिस्की का सेवन किया.
19वीं शताब्दी के आखिर और 20वीं शताब्दी की शुरुआत में ब्रांडी का इस्तेमाल कार्डियक स्टिमुलेंट के तौर पर होता रहा.
कहते हैं कि अंटार्कटिका की साहसिक खोज के दौरान ब्रांडी का इस्तेमाल दवा के तौर पर होता रहा. 1960 के दशक में भी ब्रांडी चेतना शून्य करने वाली दवा थी.