'मेरे पास मां है...', सिनेमा लवर्स के लिए ये लाइन हमेशा इमोशन फिल्ड रहा है. लेकिन अब ट्रेंड अलग है. अब हीरो के पास बाप है, जो बेटे के लिए हर हद से गुजरने को तैयार है.
फिल्मों में जैसे हीरो की परिभाषा बदलती जा रही है. पहले आप देखते थे कि एक 25 से 30 साल का हीरो है, जो सच्चाई के लिए दुनिया से लड़ जाता है. विलेन को मार गिराता है.
लेकिन अब इस ट्रेंड में बदलाव आता दिखाई दे रहा है. वो हीरो अब बूढ़ा हो चुका है, पिता बन चुका है, लेकिन हीरोगिरी से रिटायर नहीं हुआ है. वो अब भी अपने बेटे को बचाने के लिए कुछ भी कर सकता है.
इस दौरान कई ऐसी फिल्में रिलीज हुई हैं, जहां बेटे को हीरो की तरह दिखाया तो गया लेकिन विलेन के सामने जब कमजोर पड़ा तो, लाज बचाने पिता ही काम आया. ताजा एग्जाम्पल के तौर पर 'जवान' को ही ले लीजिए.
जवान फिल्म में शाहरुख खान ने डबल रोल निभाया है. पिता भी वही हैं और बेटा भी, लेकिन यकीन मानिए जब बेटा आजाद विलेन के आगे फेल होता दिखता है, तो पिता बने विक्रम राठौड़ उसे एक चुटकी में बचा ले जाते हैं. फैंस सीटी बजाए बिना रह नहीं पाते हैं.
वहीं रजनीकांत की फिल्म जेलर का भी कुछ ऐसा ही हाल है. कहानी में रजनीकांत का गुंडो के चंगुल में फंस जाता है और अपने आपको बचा पाने में नाकाम होता है. तब पिता ही आकर बेटे को बचाता है और विलेन से मारधाड़ करता है.
इसके अलावा विक्रम फिल्म की कहानी भी कुछ इसी तरह की है. जहां बेटे की वजह से पिता एक जंग लड़ रहा है. ड्रग माफिया से भिड़ रहा है. इस फिल्म में कमल हासन ने उस हीरो पिता का किरदार निभाया है.
सनी देओल की गदर 2 भी कुछ इसी तरह की स्टोरीलाइन पर चलती है. हालांकि फिल्म की शुरुआत में उत्कर्ष पिता बने सनी को पाकिस्तान की जेल से बचाने जाते हैं, लेकिन खुद ही फंस जाते हैं.
कहानी अलग मोड़ लेती है, जिसके बाद सनी को ही एक्शन में आना पड़ता है. विलेन के चंगुल में फंसे बेटे को बचाने फिर वो पाकिस्तान जाते हैं और ऐसा खौफनाक औरा क्रिएट करते हैं कि हर कोई भाग निकलता है.
OMG 2 एक ऐसी कहानी और है जहां एक्शन मार-धाड़ नहीं है. लेकिन पिता पंकज त्रिपाठी बेटे के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहा है. यहां भी पिता ही बेटे को दलदल में फंसने से बचा रहा है और इस रिश्ते की मजबूती की एक मिसाल कायम कर रहा है.