24 June 2025
Credit: Social Media
जनता की फेवरेट वेब सीरीज 'पंचायत' का चौथा सीजन आ चुका है. इस बार मामला प्रधानी के चुनाव पर फंसा है, जहां मंजू देवी और क्रांति देवी आमने-सामने हैं.
'पंचायत' के पहले सीजन से ही हम सबने मंजू देवी को ही प्रधान बने देखा है इसलिए लोग नेचुरली उन्हें सपोर्ट कर रहे हैं. मगर उनकी विरोधी क्रांति देवी भी कम दमदार नहीं हैं.
असल में अगर ईमानदारी से देखा जाए तो क्रांति देवी अपनी प्रतिद्वंद्वी मंजू देवी से बेहतर नेता हैं. ये चीज कई बातों से साबित होती है.
क्रांति देवी की क्रांति शुरू ही इस मुद्दे से हुई थी कि प्रधान जी ने सड़क बनवाने का वादा करके पिछला चुनाव जीता था लेकिन अभी तक सड़क नहीं बनवाई.
मंजू देवी पुरानी प्रधान हैं और फुलेरा में उनका सम्मान बहुत है. लेकिन अगर बात जनता के सामने दमदार तरीके से बोलने की हो तो क्रांति देवी उनपर बहुत भारी पड़ेंगी.
क्रांति देवी ने अपने पति भूषण उर्फ बनराकस के साथ मिलकर पूर्व विधायक का जो भारी सपोर्ट हासिल किया है, वो इस चुनाव में उनके लिए बहुत बड़ा रिसोर्स है.
मंजू देवी मोस्टली घरेलू महिला ही थीं. उन्हें पति की छांव से निकलकर, पद का वजन बढ़ाने में समय लगा. पर क्रांति देवी वर्किंग वुमन भी हैं, वो घर पर सिलाई का काम भी करती हैं.
क्रांति देवी केवल दमदार वक्ता ही नहीं हैं बल्कि पॉलिटिक्स के दांव-पेंच भी भरपूर जानती हैं. उनके तेवर में ही एक चतुराई है जो पॉलिटिक्स का सबसे बड़ा हथियार है.
मंजू देवी को इस बात का एहसास है कि उन्होंने गांव में भरपूर काम नहीं किया है. जबकि क्रांति देवी पिछले कामों की आलोचना से मिले सपोर्ट के दम पर मैदान में उतरी हैं इसलिए कॉन्फिडेंट हैं.
एक नेता के तौर पर क्रांति देवी का हर पक्ष मंजू देवी से दमदार बैठता है. चुनाव का मैदान तैयार है, अब बस इस बात का इंतजार है कि फुलेरा की जनता किसे चुनती है. आपको क्या लगता है?