लेजेंडरी एक्टर विनोद खन्ना बॉलीवुड का बड़ा नाम थे. स्क्रीन पर जब भी वे आए, अपनी दमदार अदाकारी से ऑडियंस को दीवाना बना गए.
मगर एक दौर ऐसा आया जब विनोद खन्ना ने शोबिज को छोड़ संन्यासी बनने का निर्णय लिया था. वे ओशो की शरण में चले गए थे. उनके इस फैसले ने पूरे बॉलीवुड को हिला दिया था.
विनोद खन्ना ने एक इंटरव्यू में कहा था, 'मेरे परिवार में छह-सात महीने में चार लोग एक के बाद एक गुजर गए, जिसमें मेरी मां और मेरी एक अजीज बहन थी.
मेरी जड़ें हिल गई थीं. मुझे लगने लगा कि बस अब एक दिन मैं भी मर जाऊंगा. दिसंबर 1975 में एकदम मैंने तय किया कि मुझे ओशो के पास जाना है.
जब एक्टर दर्शन के लिए पहुंचे तो ओशो ने उनसे पूछा- क्या तुम संन्यास के लिए तैयार हो? विनोद खन्ना बोले- मुझे पता नहीं, लेकिन आपके प्रवचन बहुत अच्छे लगते हैं.
ओशो ने एक्टर से संन्यास लेने को कहा और वे तुरंत मान गए थे. संन्यासी बनने के बाद उन्होंने अपना नाम स्वामी विनोद भारती रख लिया था.
विनोद खन्ना ओशो की शरण में जाने के लिए अमेरिका तक चले गए थे. वहां विनोद माली का काम करते थे, आश्रम में टॉयलेट और बर्तन तक साफ करते थे.
ओशो की शरण में 4-5 साल वक्त बिताने के बाद विनोद खन्ना वापस भारत लौटे. वे बॉलीवुड में कमबैक करने के लिए तैयार थे. तब फिरोज खान ने उनकी मदद की थी.
साल 1987 में विनोद खन्ना ने फिल्मों में वापसी की. उन्होंने डिंपल कपाड़िया के साथ मूवी इंसाफ में काम किया. फैंस एक्टर को स्क्रीन पर देखकर बहुत खुश हुए.
स्क्रीन पर उन्होंने लंबा काम किया. फिर एक दिन कैंसर की बीमारी के चलते 27 अप्रैल 2017 को उनका मुंबई में निधन हो गया था.