ऋतिक रोशन-प्रिटी जिंटा स्टारर फिल्म कोई मिल गया को 20 साल पूरे हो गए हैं. इस मौके पर मेकर्स ने फिल्म को फिर से रिलीज करने का फैसला लिया है.
फिल्म को 2003 में ग्रैंड सक्सेस हासिल हुई थी, लेकिन उस वक्त प्रोड्यूसर राकेश रोशन के मन में एक डर था. हाल ही में एक इंटरव्यू में उन्होंने ये भी बताया कि उन्हें जादू का आइडिया कैसे आया था.
राकेश ने बताया कि उनके एक एलियन को छोटा और क्यूट दिखाने का आइडिया पहले किसी को समझ नहीं आया था. कोई उनकी क्रिएटीविटी को समझ नहीं पा रहा था.
बॉलीवुड हंगामा को दिए इंटरव्यू में राकेश बोले- मैंने जब अपना आइडिया बताया कि हॉलीवुड में बर्ड्स-जानवरों या अलग अलग क्रिएचर्स पर कई फिल्में बनती हैं, और हमें अच्छी लगती हैं, तो हम क्यों नहीं बना सकते.
मैंने कहा कि मैं एक एलियन को लेकर फिल्म बनाने की सोच रहा हूं. मुझे नहीं पता वो कैसा दिखता है, लेकिन मेरे जहन में है कि वो एक छोटा सा, गहरी आंखों वाला हो. वो कुछ बोले ना लेकिन अपनी आंखों से ही बात करे.
लेकिन मुझे जवाब मिला कि आप इसे कमर्शियली कैसे हिट करेंगे. मुझे ये बात बहुत खटकी कि मैं क्रिएटीविटी की बात कर रहा हूं और ये कमर्शियल की बात कर रहे हैं. तो मैं वहां से निकल गया.
फिर मैं दूसरे स्टू़डियो गया तो उनकी पत्नी को बहुत इंटरेस्ट आया, उन्होंने पूछा मुझसे कि आप क्यों ऐसा एलियन चाहते हैं, हमने तो ज्यादातर लंबे-पतले से देखें हैं. तो मैंने उन्हें अपनी विश बताई.
मैंने बताया कि वो बच्चों के साथ खेलने वाला होना चाहिए, बच्चें उससे डरे नहीं. फिर उन्होंने स्टोरी पूछी, तो मैंने नैरेट किया. मुझे समझ आ गया कि ये इस कॉन्सेप्ट से रिलेट कर सकेंगे. अगली सुबह उन्होंने मुझे जादू की ड्रॉइंग दिखाई.
इसी के साथ राकेश ने बताया कि वो फिल्म बना तो रहे थे लेकिन ऋतिक के करियर को लेकर उन्हें डर जरूर सता रहा था. क्योंकि उससे पहले ही ऋतिक की मैं प्रेम की दीवानी हूं फ्लॉप हुई थी. मैं अपने बेटे का ही करियर दांव पर लगा रहा था.
राकेश बोले- मुझे लगा शायद कोई मिल गया देखने भी कोई नहीं आएगा. लेकिन, जब मैंने ऋतिक के साथ पहला शॉट शूट किया, मेरा कॉन्फिडेंस 100% बढ़ गया. मुझे पता था कि ये फिल्म हिट होगी.
इसी के साथ राकेश ने बताया कि उन्हें इसके सीन्स को शूट करने में कितनी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था. क्योंकि जादू बोल नहीं सकता, उसके आंखों के एक्सप्रेशन से डायलॉग मैच करना और ऋतिक की हाइट से उसे मिलाना मुश्किल होता था.
उन्हें एक एक सीन को बार बार शूट करने में पांच घंटे लग जाते थे. वो हर दिन एक फ्रेम मार्क कर के जाते थे. ताकि अगली बार वहीं पर फिर से शूटिंग की जा सके.