09 Oct 2024
फाइटर जेट्स या मिलिट्री हवाईजहाजों में बैठे लोगों की सुरक्षा का बहुत ध्यान रखा जाता है.
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वहीं सैन्य प्लेन में मौजूद हर यात्री के लिए पैराशूट भी मौजूद होता है, जिससे खतरा होने पर पैराशूट का इस्तेमाल करके जमीन पर सुरक्षित पहुंच सकें.
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लेकिन कर्मशियल प्लेन में आम यात्रियों के लिए पैराशूट की सुविधा नहीं होती है. आइए इसके पीछे की वजह जानते हैं.
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पैराशूट्स को इस्तेमाल करने के लिए किसी को भी ट्रेनिंग की जरूरत होती है. बिना ट्रेनिंग के पैराशूट का इस्तेमाल आपके लिए जानलेवा साबित हो सकता है.
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यही वजह है कि यात्री विमान में पैराशूट्स नहीं दिए होते. कमर्शियल प्लेन में शायद ही कोई यात्री ऐसा हो जिसमे पैराशूट इस्तेमाल करने की ट्रेनिंग ली हो.
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ऐसे में अगर यात्रियों को पैराशूट्स मिलेंगे तो वे इसका सही तरीके से इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे और खुद की जान को खतरे में डाल सकते हैं.
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अब आपके मन में सवाल आ रहा होगा कि स्काईडाइविंग के वक्त भी लोगों के पास ट्रेनिंग नहीं होती तो वो कैसे विमान से कूदते हैं.
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बता दें, स्काईडाइविंग प्लेन कमर्शियल प्लेन से बहुत अलग होते हैं. वहीं, जब कोई स्काईडाइविंग भी करता है तो उनके साथ हमेशा एक ट्रेन्ड प्रोफेशनल भी विमान से कूदता है.
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स्काईडाइविंग वाले प्लेन 15 हजार से 16 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ते हैं और उनकी गति धीमी होती है जबकि ,
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यात्री विमान 35 हजार फीट तक की ऊंचाई पर उड़ते हैं और उनकी गति बहुत ज्यादा होती है.
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ऐसे में कमर्शियल प्लेन से बाहर कूदना जानलेवा हो सकता है और आपको घायल भी कर सकता है.
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वहीं, जो मिलिट्री एयरक्राफ्ट्स होते हैं उनके पीछे के हिस्से में कूदने के लिए रैंप बना होता है. जबकि, कमर्शियल प्लेन में ऐसा कोई रैंप नहीं होता है.
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पैराशूट्स बहुत महंगे आते हैं. ऐसे में कमर्शियल प्लेन में हर यात्री को पैराशूट देना एयरलाइंस वालों को महंगा पड़ेगा.
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इसी के साथ, पैराशूट्स बहुत भारी होते हैं. अगर प्लेन में हर यात्री के लिए पैराशूट्स रखे जाने लगे तो प्लेन का भार बढ़ेगा.
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वहीं, पैराशूट्स को सीट के नीचे एडजस्ट करवा पाना भी मुश्किल है क्योंकि पैराशूट्स बहुत बड़े होते हैं और कमर्शियल प्लेन में इतनी जगह नहीं होती है.
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