06 Dec 2024
भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी 2024-25 का दूसरा मुकाबला आज (6 दिसंबर) से एडिलेड में हैं.
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भारतीय कप्तान रोहित शर्मा ने टॉस जीता और पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया. आज मैच का पहला दिन है. यह मुकाबला पिंक बॉल से है.
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अधिकतर लोगों के मन में सवाल है कि आमतौर पर क्रिकेट मैंच रेड बॉ़ल से खेला जाता है तो टेस्ट क्रिकेट में पिंक बॉल का इस्तेमाल क्यों किया जा रहा है? इसके पीछे खास कारण है. आइए जानते हैं.
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वैसे तो टेस्ट मैच लाल गेंद से खेले जाते हैं, लेकिन डे-नाइट टेस्ट में गुलाबी गेंद का इस्तेमाल किया जाता है. दरअसल, डे-नाइट मैचों में प्राकतिक रोशनी का सहारा लेना पड़ता है. ऐसे में पिंक बॉल का इस्तेमाल किया जाता है.
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फ्लड लाइट (दूधिया रोशनी) में बल्लेबाज के लिए रेड बॉल देखने में परेशानी होती है, जबकि पिंक बॉल आसानी से देखी जाती है.
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परंपरागत टेस्ट क्रिकेट लाल गेंद से दिन की रोशनी में खेली जाती है. लेकिन जब यही गेंद दूधिया रोशनी में देखी जाए तो भूरी दिखती है.
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डे-नाइट मैच में सफेद गेंद की जगह पिंक बॉल को इसलिए चुना गया क्योंकि सफेद गेंद एक पारी के बाद ही (आमतौर 30-40 ओवरों के बाद) गंदी हो जाती है.
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वनडे में हर पारी में नई गेंद को इस्तेमाल होती है, जबकि टेस्ट क्रिकेट में 80 ओवरों के बाद ही गेंद बदलने का नियम है. इसलिए पिंक बॉल गेंद लाई गई.
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