गैस की आग नीली और चूल्हे की आग पीली क्यों होती है? जानिए कौन-सी ज्यादा गर्म

05 Dec 2024

आपने यह जरूर नोटिस किया होगा कि जब हम गैस जलाते हैं तो स्टोव से नीले रंग की आग निकलती है. वहीं, माचिस या चूल्हा जलाने पर आग पीले रंग की होती है.

क्या आप जानते हैं ऐसा क्यों होता है? आइए आपको बताते हैं कि आग का रंग अलग क्यों है और कौन-से रंग की आग ज्यागा गर्म होती है.

दरअसल हम जिन ईंधनों का प्रयोग करते हैं ये सब कार्बन आधारित हैं, फिर चाहे वो एलपीजी सिलेंडर हो या फिर मोम या दियासलाई और चूल्हा.

फिर भी इन सभी की लपटों और उसके रंग में अंतर होता है, ऐसा इसलिए क्योंकि वातावरण में ऑक्सीजन होती है.

जब इलेक्ट्रॉन फोटोन में ऊर्जा ट्रांसफर करते हैं, तो उससे लौ निकलती है, लौ के संपर्क में जब ऑक्सीजन आती है तो सभी कार्बन परमाणु कार्बन डाई ऑक्साइड में बदल जाते हैं. इससे लौ का रंग बदलता है.

यदि ऑक्सीजन ज्यादा है तो वह कार्बन को पूरी तरह कार्बन डाई ऑक्साइड में बदल देती है और लौ नीली हो जाती है.

अगर ऑक्सीजन पर्याप्त नहीं है तो कार्बन, सीओ2 में नहीं बदल पाता और लौ का ऊपरी हिस्सा काला नजर आता है. जो कालिख के तौर पर हमें दिखाई देता है.

मोम, लकड़ी दियासलाई और कागज जटिल कार्बन अणु माने जाते हैं, यदि वायुमंडल की ऑक्सीजन के लिहाज से देखें तो इनमें कार्बन का अनुपात अधिक पाया जाता है. 

इसीलिए इनका ऑक्सीकरण होता तो है, लेकिन पूरी तरह नहीं हो पाता, इसीलिए इनसे निकली लौ नारंगी और पीली होती है.

एलपीजी और मीथेन जैसे साधारण ईंधन में बहुत कम कार्बन होता है, इसीलिए इनसे जब ऑक्सीजन टकराती तो इन पर ऑक्सीजन पूरी तरह अपना कब्जा जमा लेती है. इसीलिए इनकी लौ नीली दिखाई देती है.

सामान्य भाषा में कहें तो किसी भी आग की लपट या उसके रंग का निर्धारण वायुमंडल की ऑक्सीजन के आधार पर होता है, वह जल रही चीज के कार्बन से जिस तरह प्रतिक्रिया करती है लपट का रंग उसी तरह से हो जाता है.

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