16 Apr 2025
Credit:Pexel
लंबी, तेज रफ्तार और सिल्वर जैसी चमकती बुलेट ट्रेन का सबसे खास हिस्सा है इसका आगे का सिरा – जो किसी पक्षी की चोंच जैसा दिखता है.
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इस डिजाइन के पीछे का असली जवाब जापान के एक इंजीनियर एईजीआई नाकत्सु और एक पक्षी किंगफिशर में है. आइये जानते हैं इस खास डिजाइन के पीछे इस पक्षी का क्या है कनेक्शन.
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1990 के दशक में जापान की शिंकानसेन बुलेट ट्रेनें इतनी तेज़ दौड़ने लगीं कि सुरंग से बाहर निकलते ही हवा दबने से 'टनल बूम' की आवाज़ होती थी, जो जोरदार धमाके जैसी होती थी.
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ये धमाका किसी विस्फोट जैसा लगता था, जिससे लोग डर जाते थे. ट्रेन में बैठे लोग भी असहज महसूस करते थे.
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एक दिन एईजीआई नाकत्सु ने किंगफिशर पक्षी को देखा, जो बिना शोर और छींटे उड़ाए सीधे हवा से पानी में कूदता है. नाकत्सु को कुदरत की अद्भुत इंजीनियरिंग समझ में आ गई.
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किंगफिशर की चोंच का डिजाइन ट्रेन के आगे हिस्से में लागू किया, जिससे टनल बूम खत्म हुआ, स्पीड बढ़ी, एयर रेजिस्टेंस कम हुआ, और सफर शांत व आरामदायक हो गया.
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इसके पीछे एयरोडायनामिक्स की साइंस काम करती है. एयरोडायनामिक्स हवा में वस्तुओं की गति और उस पर हवा के प्रभाव की साइंस है. यह बताती है कि हवाई जहाज, कार या पक्षी हवा में कैसे आसानी से चलते हैं.
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आज जापान की ALFA-X बुलेट ट्रेन का अगला हिस्सा लगभग 22 मीटर लंबा है, जो एक पूरी बस जितना लंबा है. लेकिन इस पूरे आइडिया की जड़ किंगफिशर की चोंच में है.
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