20 Nov 2024
UPSC की परीक्षा देश की कठिन परीक्षाओं में से एक है. हर साल लाखों कैंडिडेट्स IAS, IRS या IFS पद के लिए कड़ी मेहनत करके एग्जाम देते हैं, लेकिन कुछ ही इस पद तक पहुंच पाते हैं.
एक आईएएस के पास जिले के सभी विभागों की जिम्मेदारी होती है.
आईएएस कोई गड़बड़ी करता हुआ पाया जाता है तो उसे पद से आसानी से नहीं हटाया जा सकता. इसके लिए पूरी जांच की जाती है.
अगर वाकई IAS अनफेयर मीन्स में शामिल होता है, जिससे जनता का नुकसान हो रहा हो या वे उसकी नौकरी के खिलाफ हो तो उसकी नौकरी खत्म की जा सकती है लेकिन इसका अधिकार सिर्फ एक शख्स के पास है.
अधिकतर लोगों को लगता है कि प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री आईएएस ऑफिसर को नौकरी से निकाल सकते हैं लेकिन असल में ऐसा नहीं है.
IAS की नौकरी खत्म करने से जुड़े नियम संविधान के अनुच्छेद 311 में लिखित हैं.
अनुच्छेद 311 (2) के तहत अगर किसी ऑफिसर को अपराध में दोषी ठहराया जाए तो उसकी रैंक कम की जा सकती है साथ ही उसकी नौकरी भी खत्म की जा सकती है.
इन प्रावधानों के तहत बर्खास्त किये गए सरकारी कर्मचारी राज्य प्रशासनिक न्यायाधिकरण या केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT) न्यायालयों जैसे न्यायाधिकरणों में जा सकते हैं.
IAS, IRS या IFS पद के ऑफिसर को सिर्फ राष्ट्रपति ही नौकरी से निकाल सकते हैं. संविधान के अनुसार, इसका हक यूपीएससी, पीएम या सीएम को नहीं दिया गया है.
राज्य सरकार के पास आईएएस ऑफिसर की नौकरी से निकालने का अधिकार नहीं है लेकिन उसे निलंबित करने का अधिकार है.
अगर राज्य सरकार आईएएस जैसे किसी ऑल इंडिया सर्विस अधिकारी को सस्पेंड करती है तो उन्हें 48 घंटे के अंदर कैडर कंट्रोल अथॉरिटी को लेटर भेजकर इसकी जानकारी देनी होती है.
30 दिनों के बाद संस्पेंशन जारी रखने के लिए राज्य सरकार को केंद्र सरकार से परमिशन लेनी होती है.
लेकिन आईएएस ऑफिसर को तभी सस्पेंड किया जा सकेगा, जब कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) का प्रभार संभाल रहे मंत्री मंजूरी देंगे.