9 Sept 2024
Credit: Meta AI
"टाइगर" और "एलीफेंट" पेरेंटिंग, ये दोनों शब्द हाल के समय में पेरेंटिंग स्टाइल को समझने के लिए बहुत लोकप्रिय हुए हैं. ये शब्द बच्चों के पालन-पोषण के दो अलग-अलग तरीकों को दर्शाते हैं.
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आइए जानते हैं इनमें क्या अंतर है और कौन सा तरीका बच्चों के लिए बेहतर हो सकता है.
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टाइगर पेरेंटिंग में बच्चों को कठोर अनुशासन और ज्यादा उम्मीदें रखी जाती हैं. उन्हें लगातार मेहनत करने के लिए प्रेरित किया जाता है.
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भावनात्मक रूप से बच्चों को कम सपोर्ट दिया जाता है. भावनाओं की तुलना में एकेडमिक सक्सेस को ज्यादा महत्व दिया जाता है.
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हालांकि इस तरह की पवरिश वाले बच्चों में अक्सर अपने गोल अचीव करने की ललक ज्यादा देखी जाती है.
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वे कम उम्र से ही कड़ी मेहनत करना सीख जाते हैं, जो एकेडमिक और प्रोफेशनल दोनों में ही मेहनती साबित हो सकते हैं.
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टाइगर के उलट एलीफेंट पेरेंटिंग में बच्चों के प्रति इमोशनल सपोर्ट ज्यादा होता है. बच्चों की भावनाओं को समझा जाता है और उनकी मदद की जाती है.
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बच्चे गलतियां भी कर सकते हैं और उन्हें सीखने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. बच्चों को पूरी आजादी दी जाती है ताकि वे अपनी रुचियों और क्षमताओं का विकास कर सकें.
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कोई भी एक तरीका पूरी तरह से सही या गलत नहीं हो सकता. दोनों के अपने फायदे और नुकसान हैं. सबसे अच्छा तरीका यह होगा कि आप अपने बच्चे की जरूरतों के हिसाब से पेरेंटिग करें.
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हर बच्चा अलग होता है, इसलिए आपको अपने बच्चे की जरूरतों के अनुसार पेरेंटिंग स्टाइल को अपनाना चाहिए.
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बच्चों की उम्र के साथ उनकी जरूरतें भी बदलती रहती हैं, इसलिए आपको अपने पेरेंटिंग स्टाइल को समय के साथ बदलने के लिए तैयार रहना चाहिए.
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