चुनावी जमानत क्या है? जो हारने पर हो जाती है जब्त

08 Feb 2025

चुनाव के दौरान किसी प्रत्याशी के हारने के बाद आपने कई बार सुना होगा कि इनकी तो जमानत जब्त हो गई. लेकिन इसके बारे में कम ही लोग जानते हैं कि जमानत क्या होती है, कितनी राशि होती है और कब जब्त होती है.

इलेक्शन सिस्टम में कैंडिडेट्स को कुछ धनराशि सिक्योरिटी के तौर पर देनी होती है. यह धनराशि चुनाव में नामांकन भरते समय चुनाव आयोग के पास जमा करता है, इसे ही जमानत राशि कहा जाता है.

क्या होती है जमानत?

चुनाव आयोग के पास जमा की जाने वाली धनराशि इसलिए रखी जाती है ताकि वे ही प्रत्याशी चुनाव में हिस्सा लें जो वाकई में इसे लेकर गंभीर हैं. गैरजरूरी भीड़ न हो.

जमानत क्यों रखी जाती है?

निर्वाचन आयोग के नियमों के अनुसार, अलग-अलग चुनाव के आधार पर यह राशि कम या ज्यादा होती है. इसके अलावा आरक्षित वर्ग के प्रत्याशियों को कुछ छूट भी मिलता है.

चुनावी जमानत राशि कितनी होती है?

सामान्य उम्मीदवार को ₹25,000, अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) वर्ग के उम्मीदवार को ₹12,500 जमा करने होते हैं.

लोकसभा चुनाव की जमानत राशि

सामान्य वर्ग के उम्मीदवार को ₹10,000, जबकि SC/ST उम्मीदवार को ₹5,000 देने होते हैं.

विधानसभा चुनाव की जमानत राशि

सभी वर्गों के लिए जमानत राशि की रकम एक ही होती है. राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए उम्मीदवार को 15 हजार रुपये जमा कराने होते हैं.

राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव

अगर कोई उम्मीदवार चुनाव में कुल वेलिड वोटों के 16.67% से कम वोट प्राप्त करता है, तो उसकी जमानत जब्त कर ली जाती है. इसका मतलब यह है कि चुनाव आयोग उस उम्मीदवार को दी गई जमानत राशि वापस नहीं करता.

जमानत जब्त का क्या मतलब है?

मान लीजिए किसी सीट पर 1 लाख वोट पड़े हैं और वहां 5 उम्मीदवारों को 16,666 से कम वोट मिले हैं, तो उन सभी की जमानत जब्त कर ली जाएगी.

अगर कोई उम्मीदवार कुल वैध मतों का 16.67% या उससे अधिक वोट प्राप्त कर लेता है, तो चुनाव आयोग उसे उसकी जमानत राशि लौटा देता है.

जमानत राशि की वापसी कब होती है?