18 July 2025
Photo: META AI
चांदनी चौक दिल्ली का एक ऐतिहासिक और बहुत ही व्यस्त मार्केट एरिया है, जहां किराया स्थान, दुकान के आकार, लोकेशन (मुख्य सड़क या गली), और प्रथा (पगड़ी या सीधा किराया) पर निर्भर करता है.
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यहां हर दिन हजारों लोग शादी की शॉपिंग करने आते हैं. यहां शादी की शॉपिंग से लेकर साड़ियां, लहंगे, इलेक्ट्रॉनिक्स, किताबें, चांदी-सोने के सामान सबकुछ मिलता है.
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तो चलिए जानते हैं चांदनी चौक में एक दुकान का किराया कितना है.
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चांदनी चौक के दरीबा कलां में रहने वाली प्रीति शर्मा ने बताया कि चांदनी चौक में आज भी कई दुकानों में पगड़ी प्रथा चली आ रही है. उनकी भी चांदनी चौक में चार दुकानें है, जिसका हर महीने सिर्फ 500 रुपये किराया आता है.
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पगड़ी प्रथा एक पुरानी किराया व्यवस्था है, जो ब्रिटिश काल से चली आ रही है. इसमें किरायेदार दुकान के मालिक को एक साथ बड़ी रकम (पगड़ी) देते हैं और फिर हर महीने बहुत ही कम किराया देते हैं.
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आपको बता दें कि आज भी कई दुकानों का रिकाया 200-500 से लेकर 1000 रुपये तक है, भले ही दुकान करोड़ों की हो.
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आज भी चांदनी चौक की कई दुकानों पर पगड़ी सिस्टम ही चल रहा है. वहीं, आज के समय में अगर आप किसी से दुकान लेते हैं तो आपको लाख रुपये तक किराया देना पड़ सकता है.
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जब भारत पर अंग्रेजों का राज था, तब लोगों को प्रॉपर्टी खरीदने-बेचने में बहुत टैक्स देना पड़ता था. इसके अलावा रजिस्ट्री और सरकारी कागज़ी प्रक्रिया भी काफी मुश्किल भरा और समय लेने वाली थी.
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टैक्स बचाने और प्रक्रिया आसान बनाने के लिए ये तरीका निकाला गया. ऐसे में एक नया तरीका आया: "पगड़ी देना और दुकान लेना".
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इसमें दुकानदार, मकान मालिक को एक बड़ी रकम (पगड़ी) एक बार में देता था और फिर हर महीने बहुत कम किराया देता था.
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