क्या है अकाल तख्त का इतिहास? जिसने पंजाब के पूर्व डिप्टी CM को दे दी सजा

4 Dec 2024

सिखों की सर्वोच्च संस्था अकाल तख्त ने पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल को तनखैया करार देते हुए शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष पद से हटा दिया है. साथ ही उन्हें सजा भी दी है.

पूर्व डिप्टी सीएम सुखबीर सिंह बादल को स्वर्ण मंदिर के टॉयलेट की सफाई करने की सजा दी गई है. हालांकि बादल को लगी चोट की वजह से सजा में बदलाव करते हुए दो दिन के लिए मंदिर के एंट्री गेट पर सेवादार बनाया गया है.

दो दिन तक उनके गलते में दोषी की तख्ती भी लटकी होगी. द प्रिंट की रिपोर्ट के अनुसार, इसके बाद सुखबीर सिंह बादल को पंजाब के कुछ और गुरुद्वारों में भी ऐसा ही करना होगा.

अकाल तख्त ने सुखबीर बादल को यह सजा गुरमीत राम रहीम पर से केस वापस लेने के चलते मुकर्रर की है.

अकाल तख्त सिखों की सबसे बड़ी धार्मिक संस्था है जिसका शाब्दिक अर्थ "कालहीन का सिंहासन" है. इसका फैसला सभी सिखों को मानना होता है, चाहे वो कितना ही बड़ा नेता हो.

अकाल तख्त क्या है?

अकाल तख्त की नींव सिखों के छठे गुरु, गुरु हरगोबिंद ने अपने पिता गुरु अर्जन को मुगल शासन द्वारा मृत्युदंड दिए जाने के बाद रखी थी. हालांकि इसकी नींव की तारीख को लेकर विवाद है. इसकी शुरुआत 1606 और 1609 के बीच मानी जाती है.

अकाल तख्त की स्थापना

इसकी पावर का अंदाजा इससे भी लगा लें कि नेताओं के फैसलों का भी तनखैया के जरिए अकाल तख्त विरोध कर पाता है. यहां तक कि कोई भी सरकार इसका विरोध नहीं कर पाती. 

अकाल तख्त की पावर

हां, लेकिन ये जरूर है कि अकाल तख्त कोई सजा केवल सिख धर्म को मानने वालों को ही दे सकता है. सिख पंथ की सर्वोच्च संस्था अकाल तख्त को यह अधिकार है, कि अगर कोई सिख धर्मानुकूल आचरण न करे तो वह उसे तनखैया घोषित कर दे.

वर्तमान में सिख पांच स्थानों को तख्त के रूप में मान्यता देते हैं, तीन पंजाब में हैं-अकाल तख्त (अमृतसर), तख्त केशगढ़ साहिब (आनंदपुर साहिब) और तख्त दमदमा साहिब (तलवंडी साबो).

भारत में कितने अकाल तख्त हैं?

अन्य दो तख्त पटना साहिब (बिहार) और तख्त हजूर साहिब (नांदेड़, महाराष्ट्र) में हैं. 

All Photo Credit: PTI