गर्मी का सीजन आ गया है. अप्रैल के महीने में ही आईएमडी ने कुछ राज्यों में हीटवेव का अलर्ट जारी कर दिया है.
महाराष्ट्र में तो हीटवेव कुछ लोगों के लिए जानलेवा साबित हुई. वहीं, कुछ लोगों को हीटवेव के चलते अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा.
हर बार गर्मी के सीजन में हीटवेव की खबरें आती हैं, लेकिन क्या आपने सोचा है कि हीटवेव क्या होती है? IMD कब इसका ऐलान करता है?
हीट वेव वो समय अवधि है जब गर्मी के सीजन में अधिकतम तापमान सामान्य से अधिक हो जाता है. इसके लिए 4 पैमाने हैं.
आमतौर पर मार्च से जून के बीच हीटवेव की स्थिति बनती है. बहुत कम होता है जब जुलाई तक हीटवेव की स्थिति बनी रहे.
IMD के मुताबिक, जब मैदानी इलाकों में किसी स्टेशन का अधिकतम तापमान 40 डिग्री या उससे ज्यादा होता है तो हीटवेव की स्थिति बनती है.
वहीं, पहाड़ी इलाकों में अधिकतम तापमान कम से कम 30 डिग्री सेल्सियस हो जाए तब हीटवेव का अलर्ट जारी होता है.
तटीय क्षेत्रों में अधिकतम तापमान कम से कम 37 डिग्री सेल्सियस हो जाए तब हीटवेव की स्थिति बन जाती है.
जब तापमान सामान्य से कम से कम 4.5 डिग्री सेल्सियस ज्यादा हो जाता है, तो हीटवेव घोषित कर दी जाती है.