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UPSC Interview कैसा होता है और कैसे करें तैयारी? जानिए

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12 Dec 2024

UPSC

UPSC ने 2024 मेन्स परीक्षा का परिणाम जारी कर दिया है. लिखित परीक्षा को क्रैक करने वाले स्टूडेंट्स अब इंटरव्यू की तैयारी में लगे हुए.

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जनवरी में इंटरव्यू होना संभावित है. पर्सनैलिटी टेस्ट की तैयारी के लिए उन लोगों के टिप्स और सलाह की जरूरत भी पड़ती है जो इस इंटरव्यू को दे चुके हैं.

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IAS इंटरव्यू कैसे होता है और इसकी तैयारी कैसे करनी चाहिए, इस बारे में तनु जैन ने काफी कुछ बताया है.

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तनु जैन को आपने रील्स और मॉक इंटरव्यू से काफी फेमस हुई हैं.

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सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रहे अभ्यर्थ‍ियों के बीच वो जाना-पहचाना चेहरा बन चुकी हैं. यूपीएससी इंटरव्यू की तैयारी कर रहे अभ्यर्थ‍ियों के लिए उनके अनुभव और टिप्स काफी काम के हैं.

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तनु बताती हैं कि उन्होंने 2014 में पहला इंटरव्यू दिया था. वो डीके दीवान सर का बोर्ड था. धौलपुर हाउस के गोलाकार रूम में अभ्यर्थी अपनी बारी का इं‍तजार कर रहे थे.

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वो बताती हैं कि एक पैनल के अंदर छह अभ्यर्थ‍ियों को एक टेबल के आसपास बिठा दिया जाता है. फिर एक एक करके कैंडिडेट्स को बुलाया जाता है.

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उसके बाद अभ्यर्थी मेन रूम में जाता है तो अस‍िस्टेंट खोलता है. यहां अभ्यर्थी अंदर आने की इजाजत मांगता है, इजाजत मिलने के बाद वो अंदर प्रवेश करके अपनी सीट में बैठता है.

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वहां पांच लोग बैठे होते हैं पैनल में. ये सभी अलग-अलग क्षेत्र से होते हैं. अभ्यर्थी को उनके बारे में पता नहीं होता.

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अभ्यर्थी को सिर्फ पैनल के चेयरमैन के बारे में पता होता है. यहां भीतर पैनल में साइकोलॉजिस्ट, ब्यूरोक्रेट या यूपीएससी मेंबर कोई भी हो सकता है.

तनु कहती हैं कि मेरा फिलॉसफी सब्जेक्ट था, साथ में जीएस तो होता ही है. इसके बाद सिलसिला शुरू होता है.

एक मेंबर छह से सात सवाल पूछता है. इंटरव्यू चेयरमैन शुरू करते हैं, फिर सभी पैनलिस्ट सवाल करते हैं फिर अंत में चेयरमैन सवाल पूछता है.

पैनल द्वारा अटपटे सवाल वैसे तो पूछे नहीं जाते. लेकिन यदि सभी सवालों के जवाब मिल गए हैं तो एक प्रजेंस ऑफ माइंड चेक करने के लिए हो सकता है कि कुछ पूछ लिया जाए.

जैसे मान लीजिए पूछ लिया कि अंडा पहले आया या मुर्गी. वैसे तो यहां सुलझे हुए और गहरे सवाल पूछे जाते हैं, ताकि जज किया जा सके कि अभ्यर्थी इतनी प्रत‍िष्ठ‍ित सेवाओं के लायक है या नहीं.

तनु कहती हैं कि पैनल से डिसएग्री करने का एक तरीका होता है. उनसे आप रीजन या तर्क के आधार पर डिसएग्री कर रहे हैं तो पैनलिस्ट इसे पॉजिट‍िवली लेते हैं. लेकिन किसी प्वाइंट पर बहस करना डिसएडवांटेज की तरफ ले जाता है.

तनु कहती हैं कि मेरा इंटरव्यू को लेकर तर्जुबा धीरे धीरे बना. मैं जब सेलेक्ट नहीं हुई तो विश्लेषण किया कि पहले इंटरव्यू में क्या गल‍त‍ियां की.

मुझे समझ आया कि मैं शुरुआत से ही डिबेटिंग में भाग लेती थी. मुझे लगता था कि आउट स्पोकेन होना बहुत मददगार रहेगा.

लेकिन पहले इंटरव्यू के बाद समझ आया कि इंटरव्यू कनर्वसेशन से ज्यादा फॉर्मल कनवर्सेशन है. इसके नियम मुझे बाद में समझ आए.