20 June 2025
Source: India Today
मुजफ्फरनगर( UP) के रहने वाले मोहम्मद सुहैल की कहानी उन सभी छात्रों को जरूर पढ़नी चाहिए जो सभी सुविधाओं के बाद भी अपनी लाइफ में कुछ कर नहीं पाते हैं.
मोहम्मद सुहैल की कहानी काफी प्रेरणादायी है, वे दिन में रिक्शा चलाते थे और रात में नीट की तैयारी करते थे,
उन्हें तीन प्रयासों के बाद NEET में सफलता हासिल हुई. इस साल जब NEET UG के नतीजे आए तो उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में एक छोटे से घर में जश्न का माहौल था.
मोहम्मद सुहैल अपने पिता का ई-रिक्शा चलाकर घर का खर्च चलाते थे, उन्होंने अपने तीसरे प्रयास में 609 अंक हासिल किए
उनके परिवार में किसी ने भी 12वीं कक्षा से आगे पढ़ाई नहीं की है, लेकिन उनकी मां का सपना था कि बेटा डॉक्टर बने.
मोहम्मद सुहैल एक निम्न-मध्यम वर्गीय परिवार से आते हैं, जहां संसाधन सीमित थे लेकिन सपने बड़े थे.
2021 में परिवार की आर्थिक स्थिति देखते हुए परिवार का भरण-पोषण करने के लिए ई-रिक्शा चलाना शुरू कर दिया.
सुहैल ने बताया कि "मैंने दिन में ई-रिक्शा चलाना शुरू किया. मेरी रातें पढ़ाई में बीतती थीं, अक्सर आधी रात या उससे भी बाद तक जागता रहता था.
सुहैल ने बताया कि "मेरी NEET रैंक 11,000 है - हो सकता है कि इससे मुझे शीर्ष कॉलेजों में प्रवेश न मिले, लेकिन यह एक ठोस सरकारी सीट के लिए पर्याप्त है.