09 Mar 2025
कहते हैं न कि सिद्दत से मेहनत करने वाले व्यक्ति को एक दिन सफलता जरूर मिलती है.
ये कहानी राजस्थान के एक ऐसे किसान के बेटे की है, जिसकी मां मनरेगा में दिहाड़ी का काम करती थीं और पिताजी एक किसान हैं, बहुत मुश्किल से उनका घर चल पाता था.
हेमंत पारीक की मां को मजदूरी के 200 रुपये मिलने होते थे, लेकिन कभी 60 तो कभी 80 रुपये मिलते थे.
एक दिन मां ने बेटे को अपना यह दर्द बताया. जब हेमंत ने उन लोगों से जवाब मांगा तो उन्होंने पूछा कि तू कहीं का कलेक्टर है क्या?
हेमंत ने उस दिन के पहले कलेक्टर शब्द भी नहीं सुना था. हेमंत का इरादा ग्रेजुएशन के बाद नौकरी कर घर की जिम्मेदारी उठाने की थी, लेकिन अपनी मां को उनका हल दिलाने के लिए उन्होंने कलेक्टर बनने का सपना का सपना देखा और उसे पूरा भी किया.
हेमंत का जन्म हनुमानगढ़ राजस्थान में एक मजदूर परिवार में हुआ था.10th तक की पढ़ाई महर्षि दयानंद स्कूल से हिंदी माध्यम से की. उसके बाद 12th मैंने आर्य समाज स्कूल छानी बड़ी से एग्रीकल्चर में हिंदी माध्यम से की.
इसके बाद हेमंत ने JET की परीक्षा दी और उसमें फेल हो गए. फिर, इन्होंने अगले साल फिर से JET की परीक्षा दी और और पास हो गए. लेकिन उनके पास शुरुआती फीस के पैसे नहीं थे, इसलिए वह सीट छोड़ना पड़ा.
इसके बाद ICAR की परीक्षा पास करने का बाद नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय जोबनेर जयपुर में एडमिशन मिल गया.
एक दिन कॉलेज में रैगिंग चल रही थी, सीनियर सभी से पूछ रहे थे कि किसको क्या बनना है, लाइफ में क्या करना है? इन्होंने बोला कि IAS बनना है. सभी लोग हंसने लगे.
हेमंत ने कुछ यूट्यूब चैनल के लिंक देखकर पता किया कि IAS से कलेक्टर बनते हैं, फिर उसी दिन मैंने ठान लिया की एक दिन में कलेक्टर ही बनूंगा.
लेकिन सबसे बड़ी समस्या थी कि IAS की तैयारी के पैसे नहीं थे, पापा ने कहा कि तू दिल्ली जा और मन लगाकर पढ़ाई कर, हमलोग घर बेच देंगे.
उस दिन के बाद से UPSC-IAS की तैयारी में लग गया, उसके बाद मैं प्रारंभिक परीक्षा में पास हो गया और मेरा नाम लिस्ट में था. लगातार मेहनत के बाद 2023 यूपीएससी में दूसरे अटेंप्ट में ऑल इंडिया 884 रैंक हासिल किया.