28 June 2025
Credit: META AI
क्या आप जानते हैं कि जब कोई इंसान स्पेस यानी अंतरिक्ष में जाता है तो उसके शरीर में कई बड़े बदलाव आते हैं?
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वहां, गुरुत्वाकर्षण यानी ग्रेविटी नहीं होती है, जिसे 'माइक्रोग्रैविटी' कहा जाता है. इसी वजह से शरीर पर खास असर पड़ता है.
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स्पेस में असल में वजन 'खत्म' हो जाता है. क्योंकि स्पेस में वजन महसूस कराने वाली ताकत यानी धरती की गुरुत्वाकर्षण शक्ति नहीं होती है.
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इसलिए स्पेस में तैरते हुए इंसान खुद को बिल्कुल हल्का महसूस करता है.
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हालांकि, शरीर का असली वजन यानी हड्डियों और मांसपेशियों का भार कम नहीं होता, लेकिन लंबे समय तक स्पेस में रहने से मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं और हड्डियों का घनत्व कम हो जाता है.
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इस वजह से धरती पर लौटने के बाद इंसान का असली वजन कुछ किलो तक घट सकता है.
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इसके अलावा शरीर में और बदलाव होते हैं, जैसे- मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं, हड्डियों का घनत्व कम हो जाता है, जिससे कमजोरी महसूस होती है.
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इसके अलावा आंखों की रोशनी पर असर पड़ सकता है. हार्ट की कार्य क्षमता में फर्क आ सकता है. इसके अलावा इम्यून सिस्टम यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता पर भी असर होता है.
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स्पेस में रहने वाले वैज्ञानिक और यात्री रोजाना कड़ी एक्सरसाइज करते हैं ताकि मांसपेशियां और हड्डियां कमजोर न हों. इसके अलावा उन्हें खास डाइट दी जाती है ताकि शरीर में जरूरी पोषक तत्व बने रहें.
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