क्या हैं सैल्यूट करने के नियम, जानें कितने तरह से दी जाती है सलामी

29 Feb 2024

भारतीय सशस्त्र बलों में किसी को सम्मान देने के लिए उसे सैल्यूट किया जाता है. वर्दी, नौकरी, देश या किसी अपने से सीनियर और मातहत के प्रति सम्मान प्रकट करने का यह एक जरिया है.

सैल्यूट करना यह भी दर्शाता है कि अगले के हाथ में किसी तरह का कोई हथियार नहीं है और वो सम्मान देने की मुद्रा में है.

अगर आप भारतीय सशस्‍त्र बलों के सैनिकों के सैल्यूट को गौर से देखें तो  आपको अंतर दिखाई देगा क्योंकि तीनों सेनाओं का सैल्यूट एक दूसरे से अलग है.

आर्मी के अफसर और जवान खुले पंजों से और दाहिने हाथ से सैल्यूट करते हैं. सारी उंगलियां सामने की ओर खुली और अंगूठा साथ में लगा हुआ.

इंडियन नेवी में सैल्यूट के लिए हथेली को सिर के हिस्से से कुछ इस तरह टिका रखा जाता है कि हथेली और जमीन के बीच 90 डिग्री का कोण बने.

इस सैल्यूट के पीछे एक बड़ी वजह नेवी में कार्यरत नाविकों और सैनिकों के जहाज पर काम करने की वजह से गंदी हो गई हथेलियों को छिपाना है.  

इंडियन एयर फोर्स के सैल्यूट में हथेली जमीन से 45 डिग्री का कोण बनाती है. यह आर्मी और नेवी के बीच का सैल्यूट कहा जा सकता है. जिसका मतलब है 'Touching the sky with glory'.

बता दें कि सेना के किसी भी पदाधिकारी के लिए सैल्यूट करने के दौरान बैरेट या कैप पहनना न्यूनतम शिष्टाचार माना जाता है.

पुलिस मैनुअल के हिसाब से भी सैल्यूट करने के भी कई नियम हैं. अगर शारीरिक अक्षमता के कारण दाएं हाथ से सैल्यूट नहीं कर सकते हैं तो बाएं हाथ का इस्तेमाल करना होगा.

पुलिस में हथेली सामने की ओर होती है, उंगुलियां सीधी होती हैं और अंगूठा तर्जनी के पास होता है. ऊपरी हाथ को स्थिर रखा जाता है. इसके अलावा कलाई सीधी होनी चाहिए.

कोहनी को तब तक मोड़ा जाता है जब तक कि दाहिने हाथ की तर्जनी का अगला हिस्सा दाहिनी आंख से एक इंच ऊपर न हो जाए.

बता दें कि कैंपस में और वर्दी में होने पर, कैडेट सभी सेवाओं के सभी कैडेट अधिकारियों और कैडर अधिकारियों को सलामी देंगे.

इसके अलावा छत के नीचे वरिष्ठ अधिकारी को रिपोर्ट करने पर सलामी का आदान-प्रदान नहीं किया जाता है.

अगर कोई स्पोर्ट्स एक्टिविटी चल रही हो तो किसी खेल के बीच में सैल्यूट नहीं किया जाता है. गाड़ी चलाते समय सैल्यूट करने की मनाही है.