मिनरल और RO के पानी में क्या अंतर होता है, कौन बेहतर?

04 Dec 2024

पानी के बिना धरती पर जीवन असंभव है और यह सुनिश्चित करना कि हम शुद्ध और सुरक्षित पानी पी रहे हैं, हमारी सेहत के लिए जरूरी है.

आजकल मिनरल वाटर और आरओ (रिवर्स ऑस्मोसिस) वाटर दो प्रमुख विकल्प हैं जो लोग पानी के शुद्धिकरण के लिए इस्तेमाल करते हैं. लेकिन दोनों में काफी अंतर है. आइए जानते हैं.

मिनरल वाटर प्राकृतिक स्रोतों से प्राप्त होता है, जैसे कि झरने, नदियां या जलाशय. यह पानी प्राकृतिक रूप से खनिजों से भरपूर होता है, जिनमें कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटैशियम जैसे तत्व शामिल होते हैं.

यह पानी किसी भी प्रकार के आर्टिफिशियल प्रोसेस से नहीं गुजरता, बल्कि उसे साफ किया जाता है और बोतल में भरकर बेचा जाता है.

वहीं, आरओ वाटर साधारण नल के पानी या किसी अन्य जल स्रोत से प्राप्त किया जाता है. इस पानी को रिवर्स ऑस्मोसिस (RO) प्रक्रिया के द्वारा शुद्ध किया जाता है.

आरओ वॉटर एक विशेष फिल्टर सिस्टम से गुजारा जाता है, जो पानी से हानिकारक बैक्टीरिया, विषाक्त पदार्थ और खनिजों को हटा देता है.

आरओ प्रक्रिया के दौरान पानी से अधिकांश खनिज हटा दिए जाते हैं, जिससे यह पानी साफ तो होता है, लेकिन इसमें खनिजों की कमी हो सकती है.

मिनरल वाटर में प्राकृतिक खनिज होते हैं, जो इसके स्वाद अच्छा होता है. इसका स्वाद हल्का मीठा या खनिजयुक्त हो सकता है, जो कई लोगों को पसंद आता है.

आरओ वाटर का स्वाद सामान्यतः शुद्ध और हल्का होता है, क्योंकि इसमें खनिज नहीं होते. इसे पीने का अनुभव नीरस या फीका हो सकता है, क्योंकि इसमें कोई विशेष स्वाद नहीं होता.

दोनों ही तरह का पानी पीने लायक होता है लेकिन अंतर इतना है कि RO वॉटर में आपको मिनरल्स के गुण नहीं मिल पाते,

वहीं, मिनरल वॉटर में आपको खनिज तो मिल जाते हैं लेकिन इसको फिल्टर नहीं किया जाता इसलिए इसमें बैक्टेरिया भी हो सकता है. इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि कौन-सा पानी बेहतर है.

Pictures Credit: Meta AI