16 Aug 2024
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आज शॉर्ट वीडियो रील्स का जमाना है. कॉलेज गोइंग छात्र हाथों में मोबाइल और पल पल नये कंटेंट के सहारे अपना टाइम पास कर रहे हैं. ये रील्स उन्हें कहीं एडिक्शन की तरफ तो नहीं धकेल रहीं, जानिए-रिसर्च क्या कहती है.
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रिसर्चर्स ने शॉर्ट वीडियो की लत का चीनी व्यावसायिक कॉलेज के छात्रों पर शोध किया. रिसर्च में 1000 छात्रों ने इस अध्ययन में भाग लिया. इसके परिणाम चौंकाने वाले है.
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इस रिसर्च में सामने आया कि इनमें से 70% छात्र शॉर्ट वीडियो देखने के आदी हैं. ये छात्र दिन के खाली समय में ही नहीं कई बार जरूरी काम से समय निकालकर भी रील देखते हैं.
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रिसर्च में शामिल छात्रों में से 50% ने माना कि वो पढ़ने-लिखने में पहले से कमजोर हुए हैं. उनके शैक्षणिक प्रदर्शन में गिरावट आई है.
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यही नहीं, 40% छात्रों ने अपने मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव की बात मानी है. इनका काम में मन न लगना, सीखने की प्रक्रिया कमजोर हुई है. मनोबल और आत्मविश्वास में कमी आई है.
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वहीं 30% छात्रों ने अपने सामाजिक जीवन पर नकारात्मक प्रभाव की सूचना दी है, वो सामाजिक जीवन में पहले की तरह घुल-मिल नहीं पाते.
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असल में ये एक तरह का ऐसा शॉर्ट वीडियो एडिक्शन है, जिसमें शामिल होते वक्त लोग समझ नहीं पाते, लेकिन कुछ ही दिनों में वो इसके आदी हो जाते हैं.
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मनोचिकित्सक डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि शॉर्ट वीडियो की लत के बारे में जागरूकता बढ़ाई जानी चाहिए. इसकी जगह अपने बच्चों में हेल्दी आदत डालें.
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डॉ. त्रिवेदी कहते हैं कि एकेडमिक इंस्टीट्यूट्स को भी इसकी जिम्मेदारी लेकर बच्चों को जागरूक करना चाहिए.
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