21 July 2025
Photo: AI Generated
आज के समय में लोग किसी को गाली देने या नीचा दिखाने के लिए छपरी का इस्तेमाल करते हैं.
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लेकिन, क्या आप जानते हैं छप्परबंद नाम का एक समुदाय भी है.
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माना जाता है कि मुगल सेना के साथ आकर उन्होंने रक्षा शिविरों की अस्थायी छतें बनाईं और आगे चलकर पेगवाओं द्वारा उन्हें पुणे में बसी एक कॉलोनी में बसाया गया, जिसे बाद में ‘Chhaparband Lane’ कहा गया.
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ब्रिटिश काल में, चप्परबंद समुदाय को कई बार झूठे मामले (जैसे नकली सिक्कों की धांधली) में बदनाम किया गया और ‘क्रिमिनल ट्राइब एक्ट’ के तहत ‘जन्मजात अपराधी’ घोषित किया गया था.
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ये अब भारत की De-notified Tribes में आते हैं. छप्परबंद समुदाय के लोग छतों पर छप्पर डालने का काम करते थे.
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आपको बता दें कि छापरबंद एक समुदाय है जो ऐतिहासिक रूप से छतों पर छप्पर डालने का काम करता था.
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हिंदी में, छापर शब्द का अर्थ छत और फ़ारसी में बंद का अर्थ बांधने वाला और बनाने वाला होता है. छप्परबंद वो जाति है जो घास या बांस से छतें बनाती थी.
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छप्परबंद लोग मुगल साम्राज्य की सेनाओं में राजपूत सैनिक होने का दावा करते हैं , जैसा कि कहा जाता है कि वे काठियावाड़ और राजस्थान से आए थे .
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छप्परबंद मुख्य रूप से उत्तर पश्चिम कर्नाटक में, मुख्य रूप से बीजापुर , धारवाड़ और बेलगाम जिलों और महाराष्ट्र के कोल्हापुर और शोलापुर जिलों में रहते हैं.
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कुछ साल पहले तक यह एक भूमिहीन समुदाय था, जिसके कई लोग खेतिहर मजदूर या शहरी दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करते थे.
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इसके अलावा, इनमें से एक बड़ी संख्या अब ट्रक ड्राइवर, बढ़ई, राजमिस्त्री, फल विक्रेता और दुकानदार के रूप में कार्यरत हैं.
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