18 April 2025
पश्चिम बंगाल के मुस्लिम बहुल मुर्शिदाबाद जिले और बांग्लादेश की सीमा से लगे उत्तर 24 परगना जिले में वक्फ अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा में कम से कम 3 लोग मारे गए हैं और हजारों लोग विस्थापित हुए हैं.
तृणमूल कांग्रेस द्वारा आरोप लगाया गया है कि सीमा सुरक्षा बल (BSF) ने हिंसा फैलाने के लिए घुसपैठियों को राज्य में घुसने दिया है, जबकि भाजपा लगातार ममता बनर्जी सरकार पर हिंसा भड़काने का आरोप लगा रही हैं.
आपको बता दें कि हिंसा में जल रहे मुर्शिदाबाद का मुगलों से पुराना कनेक्शन रहा है. यह जगह पहले मुगलों की राजधानी हुआ करती थी.
The Statesman पर छपी खबर के अनुसार, मुर्शिदाबाद में मुगलों की कहानी 12वीं शताब्दी से शुरू होती है, जब सेन राजवंश ने यहां कुछ समय तक शासन किया.
लेकिन सन् 1203 में बख्तियार खिलजी की विजय के बाद बंगाल दिल्ली सल्तनत के अधीन हो गया. साल 1352 में शम्सुद्दीन इलियास शाह ने स्वतंत्र बंगाल सल्तनत की नींव रखी, जिसने करीब दो सौ साल तक क्षेत्र में शासन किया.
सन् 1576 में मुगलों ने बंगाल पर नियंत्रण किया और तब से मुर्शिदाबाद एक व्यापारिक और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में उभरने लगा. खासतौर पर यहां के रेशमी वस्त्रों और व्यापारिक गतिविधियों ने इसे अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई.
साल 1717 में मुग़ल सम्राट औरंगजेब ने मुर्शिद कुली खान को बंगाल का दीवान नियुक्त किया था. बाद में वे पहले नवाब बने और राजधानी को ढाका से मुर्शिदाबाद स्थानांतरित कर दिया.
इसके बाद यह शहर राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक दृष्टि से और भी अधिक समृद्ध हुआ. यूरोपीय व्यापारिक कंपनियों ने भी यहां अपने व्यापारिक ठिकाने स्थापित किए.
हालांकि, 1757 में प्लासी की ऐतिहासिक लड़ाई ने सब कुछ बदल दिया. नवाब सिराजुद्दौला की हार के साथ ही न केवल नवाबी शासन का अंत हुआ, बल्कि बंगाल में ब्रिटिश हुकूमत की शुरुआत भी यहीं से हुई.
Murshidabad.in के अनुसार, वर्तमान पश्चिम बंगाल में स्थित मुर्शिदाबाद, मुगल साम्राज्य के तहत 17वीं शताब्दी के दौरान बंगाल सूबा की राजधानी हुआ करता था.
मुर्शिदाबाद, जो एक समय बंगाल सूबे की राजधानी हुआ करता था, मुगल साम्राज्य के सबसे समृद्ध और धनी क्षेत्रों में से एक था.
उस समय बंगाल सूबे में न केवल आधुनिक पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश शामिल थे, बल्कि ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़ और बिहार के हिस्से भी इसके अंतर्गत आते थे.
मुगल सम्राट औरंगजेब के शासनकाल में बंगाल को 'भारत का स्वर्ग' कहा जाता था. उस दौर के सरकारी दस्तावेजों और फरमानों में भी बंगाल के इस गौरवशाली स्वरूप का उल्लेख मिलता है.
मुर्शिदाबाद तब बंगाल की राजधानी थी, एक ऐसा शहर जिसे नवाबों ने अपने सपनों का केंद्र बनाया था. मुगलों के पतनकाल में जब साम्राज्य लड़खड़ा रहा था, तब भी मुर्शिदाबाद अपनी मजबूत अर्थव्यवस्था के कारण एक मजबूत स्तंभ बना रहा.
अंग्रेजों ने भी मुर्शिदाबाद की तुलना लंदन जैसे महानगर से की थी, क्योंकि यह व्यापार, संस्कृति और समृद्धि का प्रतीक बन चुका था.
लेकिन अफसोस की बात है कि वही ऐतिहासिक और गौरवशाली मुर्शिदाबाद आज संघर्ष और हिंसा की घटनाओं की वजह से चर्चा में है.