09 March 2025
अक्सर मुगल काल के भव्य महलों, ईमारतों, मकबरों और युद्ध नीतियों की चर्चाएं होती रहती हैं. मुगलों ने कई जंग लड़ीं और जीते भी.
जंग में मुगलों की जीत की का श्रेय उन जानवरों को भी जाता है, जिन्हें वे अपने साथ युद्ध के मैदान में लेकर जाते थे.
जंग के मैदान में हाथियों का इस्तेमाल दुश्मन सेना पर हमला करने से लेकर कवच के तौर पर भी करते थे. 1526 में पानीपत की लड़ाई में बाबर ने हाथियों के जरिए दुश्मन सेना पर काबू पाया था.
घोड़े तेज़ गति और चपलता के लिए इस्तेमाल किए जाते थे. अकबर के नेतृत्व में, मुगल घुड़सवार सेना दुनिया की सबसे शक्तिशाली सेनाओं में से एक मानी जाती थी.
रेगिस्तान का जहाज कहा जाने वाला ऊंट का इस्तेमाल मुगल लंबी दूरी तय करने के साथ तोपखाने और खाना ले जाने के लिए होता था. इसके अलावा घेराबंदी के लिए भी ऊंटों का सहारा लिया जाता था.
मुगल, तोपों को मुश्किल इलाकों में ले जाने के लिए बैलों का इस्तेमाल करते थे. इसके अलावा दुश्मन सेना के कवच को तोड़ने के लिए बैलों को आगे दौड़ाया जाता था.
संदेश भेजने और शिकार के लिए मुगल शासक खासतौर पर बाज़ पालते थे. युद्ध में खुफिया संदेश भेजने और दुश्मन की गतिविधियों पर नजर रखने में मदद करते थे
मुगल सेना कुत्तों को ट्रेनिंग देकर दुश्मन की गतिविधियों का पता लगाने और शिविरों की सुरक्षा के लिए तैनात रहते थे.
कश्मीर और तिब्बत की लड़ाइयों के दौरान मुगल सेना पहाड़ी इलाकों में याक इस्तेमाल करती थी. ये बर्फीले क्षेत्रों में सैनिकों और रसद सामग्री को ढोने में मदद करते थे.
खच्चर ऊबड़-खाबड़ इलाकों में फायदेमंद होते थे. इनका इस्तेमाल भारी सामान और तोपखाने ढोने के लिए किया जाता था. खच्चर घोड़े से अधिक भार उठाकर ऊंची पहाड़ियों में आसानी से चल सकते हैं.
All Photos Credit: Meta AI