भगत सिंह: 'दुल्हन' से लेकर आखिरी ख्वाहिश तक, जानें उनसे जुड़ी 10 बातें!

23 March 2025

भारत में हर साल 23 मार्च को शहीद भगत सिंह की की याद में शहीद दिवस मनाया जाता है. इसी दिन 1931 में आजादी के क्रांतिकारी वीरों भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को ब्रिटिश राज में फांसी दी गई थी.

23 साल की उम्र में फांसी पर चढ़ जाने वाले एक नौजवान ने आजादी की ऐसी अलख जगाई, जिसने अंग्रेजी हुकूमत के आसमान में भी सुराख कर दिया. आइए जानते हैं भगत सिंह से जुड़ी 10 बड़ी बातें जिनके बारे में हर भारतीय को पता होना चाहिए.

1. भगत सिंह ने अपनी स्कूली पढ़ाई दयानंद एंग्लो-वैदिक हाई स्कूल में की और फिर लाहौर के नेशनल कॉलेज में आगे की पढ़ाई की.

2. जब उनके माता-पिता ने उनकी शादी करने की कोशिश की तो वह अपने घर से भाग गए. उन्होंने माता-पिता से कहा कि अगर उन्होंने गुलाम भारत में शादी की, तो उनकी दुल्हन केवल मौत होगी.

3. भगत सिंह ने सुखदेव के साथ मिलकर लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने की योजना बनाई. लेकिन लाहौर में पुलिस अधीक्षक जेम्स स्कॉट को ठीक से पहचान नहीं पाए और असिस्‍टेंट पुलिस अधीक्षक जॉन सॉन्डर्स को गोली मार दी.

4. मार्च 1926 में, भगत सिंह ने भारत में ब्रिटिश शासन को जड़ से उखाड़ फेंकने के उद्देश्य से एक समाजवादी संगठन नौजवान भारत सभा की स्थापना की.

5. 1927 में, उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और उन पर 1926 में हुए लाहौर बमबारी मामले में शामिल होने का आरोप लगाया गया. उन्हें 5 सप्ताह के बाद रिहा कर दिया गया.

6. बचपन में, भगत सिंह महात्मा गांधी द्वारा दिए गए अहिंसा के आदर्शों के अनुयायी थे. आगे चलकर उन्‍होंने अंग्रेजों से सीधी टक्‍कर लेने का मार्ग चुना जिसके चलते उनके गांधीजी से वैचारिक मतभेद भी रहे.

7. भगत सिंह जन्म से एक सिख थे, मगर अपनी पहचान छुपाने और गिरफ्तार होने से बचने के लिए उन्होंने अपनी दाढ़ी मुंडवा ली और अपने बाल काट लिए. वह लाहौर से कलकत्ता भागने में सफल रहे.

8. भगत सिंह और उनके साथियों को 07 अक्टूबर 1930 को मौत की सजा सुनाई गई. फांसी के लिए 24 मार्च 1931 का दिन तय किया गया था मगर 23 मार्च की शाम 7:30 बजे ही उन्‍हें अंग्रेज अफसर फांसी के लिए ले गए थे.

अगले दिन तीनों क्रांतिकारियों के शव मिले जिससे यह पूरी तरह स्‍पष्‍ट नहीं हो पाया कि उन्‍हें फांसी किस दिन दी गई.

9. फांसी से पहले भगत सिंह ने अपने वकील प्राणनाथ मेहता से अपनी पसंदीदा किताब 'स्टे एंड रिवॉल्यूएशन' मंगवाई और फांसी की परवाह किए बिना किताब पढ़ने बैठ गए थे. बताया जाता है कि यह किताब पढ़ना उनकी आखिरी ख्वाहिश भी थी.

10. भारत के सबसे प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह उस समय केवल 23 वर्ष के थे जब उन्हें फांसी दी गई थी. उनकी मृत्यु ने सैकड़ों लोगों को स्वतंत्रता आंदोलन का कारण बनने के लिए प्रेरित किया.