नहीं थी कोई EVM मशीन, कांग्रेस को मिले थे इतने वोट, ऐसा था पहले लोकसभा चुनाव का माहौल

04 April 2024

लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर सभी पार्टियां तैयारियों में लगी हुईं हैं. रैली, पोस्टर, नेताओं के भाषण, हर तरफ चुनावी माहौल है.

साल 2024 के लोकसभा चुनाव का माहौल बना हुआ है, हर तरफ चर्चा है कि  कब वोटिंग होनी है, कब परिणाम आएंगे. लेकिन, क्या आप पहले लोकसभा चुनाव के बारे में जानते हैं?

आइए जानते हैं कि आजाद भारत में पहली बार आम चुनाव कैसे हुए थे और तब क्या माहौल था.

1950 में संविधान लागू होने के बाद 1951 में देश में पहली बार आम चुनाव हुए, जो 1952 तक चले. अक्टूबर 1951 में आम चुनाव की प्रक्रिया शुरू हुई जो पांच महीने तक चली और फरवरी 1952 में खत्म हुई.

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पहली बार जब चुनाव हुए तो कुल 4500 सीटों के लिए वोट डाले गए, इनमें से 489 लोकसभा की और बाकी विधानसभा सीटें थीं.

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1951 के आम चुनाव में 14 राष्ट्रीय पार्टी, 39 राज्य स्तर की पार्टी और निर्दलीय उम्मीदवारों ने किस्मत आजमाई. इन सभी दलों के कुल 1874 प्रत्याशी चुनावी मैदान में खड़े थे.

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राष्ट्रीय पार्टियों में मुख्य तौर पर कांग्रेस, सीपीआई, भारतीय जनसंघ और भीम राव अंबेडकर की पार्टी शामिल थी. इसके अलावा भी अकाली दल, फॉरवर्ड ब्लॉक जैसी पार्टियां चुनावी मैदानी में किस्मत आजमा रही थीं.

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लोकसभा की 489 सीटों में से 364 कांग्रेस के खाते में गई थीं, यानी जवाहर लाल नेहरू की अगुवाई में कांग्रेस को संपूर्ण बहुमत मिला था.

कांग्रेस के बाद सीपीआई दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी जिसे 16 सीटें मिली थीं. सोशलिस्ट पार्टी ने 12 और 37 सीटों पर निर्दलियों ने जीत दर्ज की थी.

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पहले चुनाव के दौरान कुल 17 करोड़ वोटर थे, लेकिन मतदान सिर्फ 44 फीसदी ही हुआ था. चुने गए 489 सांसदों में से 391 सामान्य, 72 एससी और 26 एसटी वर्ग से थे.

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पहले चुनाव के समय सुकुमार सेन देश के पहले चुनाव आयुक्त थे. यह चुनाव करवाने के लिए चुनाव आयोग को भी काफी मशक्कत करनी पड़ी थी.

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तब ईवीएम को लेकर लड़ाई नहीं होती थी, क्योंकि ठप्पा लगाने के लिए कोई दूसरा ऑप्शन ही नहीं था. उस दौरान बैलेट पेपर से मतदान हुआ था.

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