राणा सांगा की मृत्यु कब और कहां हुई? जानिए क्या है जहर वाली थ्योरी

12 April 2025

मेवाड़ के वीर योद्धा महाराणा संग्राम सिंह (राणा सांगा) का जन्म 12 अप्रैल 1482 को सिसोदिया वंश में हुआ था. उनके पिता का नाम राणा रायमल और माता का नाम रतन कवर था.

मुगल शासक बाबर को भी लोहे के चने चबवाने वाले राणा सांगा को भले ही खानवा के युद्ध में हार मिली थी, लेकिन उनका साहस और बलिदान कभी भुलाया नहीं जा सकता.

RBSE बोर्ड की किताबों में पढ़ाया जाता है कि राणा सांगा ने कई युद्ध लड़े थे जिनमें बाबर के साथ खानवा युद्ध काफी अहम था. राणा सांगा के शरीर पर 80 से अधिक घाव थे फिर वे लड़ते रहे.

युद्ध में एक आंख, एक हाथ और एक पैर खोने के बाद भी उनका जज्बा कम नहीं हुआ. हमेशा सीना तानकर दुश्मन सेना का सामना किया.

राणा सांगा की मृत्यु एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण विषय है, जिसे स्कूल की किताबों में और राजस्थान की लोक कथाओं में बताया जाता है.

RBSE बोर्ड कक्षा 11 में मध्यकालीन भारत के संदर्भ में राणा सांगा की मृत्यु को लेकर बताया जाता है कि वे 1527 खानवा युद्ध में गंभीर रूप से घायल हो गए थे और 1528 में उनकी मृत्यु हो गई.

उनकी मृत्यु 30 जनवरी, 1528 को बसवा (कालपी के पास, वर्तमान उत्तर प्रदेश) में हुई.

कहा जाता है कि वे अपनी हार से दुखी थे और मेवाड़ की रक्षा के लिए नए सिरे से योजना बना रहे थे, लेकिन बीमारी या कमजोरी ने उन्हें रोक दिया.

कुछ ऐतिहासिक और लोक कथाओं में कहा जाता है कि उनके ही कुछ सरदारों ने बाबर के इशारे पर राणा सांगा को जहर दिया, जो उनकी हार से नाराज थे या बाबर से मिल गए थे. हालांकि, इसकी पुष्टि के लिए कोई ठोस सबूत नहीं हैं.

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