देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना आजाद से जुड़े 10 बड़े Facts

11 Nov 2023

हर साल 11 नवंबर को स्वतंत्रता सेनानी, लेखक, राजनीतिज्ञ, शिक्षाविद् और भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद की जंयती के मौके पर राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया जाता है. 

11 नवंबर, 2008 को मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने उनकी जयंती को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया था.

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अहम योगदान देने वाले मौलाना अबुल कलाम आजाद का जन्म 11 नवंबर 1888 को मक्का, सऊदी अरब में हुआ था. 

अबुल कलाम गुलाम मोहिद्दीन खैरुद्दीन को मौलाना अबुल कलाम आजाद के नाम से जाना जाता है. 

मौलाना अबुल आजाद अरबी, फासरी, तुर्की और उर्दू के अच्छे जानकार थे. उन्होंने 12 साल की उम्र में 'नैरंग-ए-आलम' पत्रिका शुरू की थी और 13 साल की उम्र में साहित्यिक आलोचना पर लेख लिखे थे.

शिक्षा मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान ही इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT), स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) की स्थापना हुई थी.

उन्होंने एक पत्रकार के रूप में अपने काम के माध्यम से लोकप्रियता हासिल की. ब्रिटिश राज की आलोचनात्मक रचनाएं प्रकाशित कीं और भारतीय राष्ट्रवाद का समर्थन किया.

आजाद 1923 में 35 वर्ष की आयु में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में सेवा करने वाले सबसे कम उम्र के व्यक्ति बने.

आजाद 'खिलाफत आंदोलन' (1919-26) के नेता बने, जिसके दौरान वे महात्मा गांधी के संपर्क में आए और अहिंसक सविनय अवज्ञा के विचारों के समर्थक बन गए.

मौलाना आजाद को 1992 में मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया था.

मौलाना अबुल कलाम आजाद ने 22 फरवरी 1958 को अपनी आखिरी सांस ली थी.