कहीं श्राप तो कहीं राजा की मृत्यु... भारत की इन जगहों पर नहीं मनाते होली

10 Mar 2025

हिंदू पंचांग के अनुसार, होली का पर्व चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को मनाया जाता है. इस साल होली का त्योहार 14 मार्च को मनाया जाएगा.

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पूरे भारत में यह त्योहार बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में कई ऐसी जगह हैं जहां होली पर्व सेलिब्रेट नहीं किया जाता है.

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उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में, क्विली और कुरझन जैसे कुछ गांव लगभग 150 वर्षों से होली नहीं मना रहे हैं.

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स्थानीय मान्यता है कि इस क्षेत्र की अधिष्ठात्री देवी त्रिपुर सुंदरी को शोर पसंद नहीं है. इसलिए, स्थानीय लोग होली के दौरान शोरगुल से परहेज करते हैं.

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होली के दिन सुनसान रहने वाला एक और स्थान गुजरात के बनासकांठा जिले का रामसन गांव है.

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इस गांव में होली का जश्न मनाए 200 साल से भी ज़्यादा हो गए हैं. 

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होली के जश्न न मनाए जाने की वजह कुछ संतों का श्राप बताया जाता है. श्राप की वजह से यहां सालों से होली नहीं मनी है.

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झारखंड के दुर्गापुर गांव के लोग होली नहीं मनाते हैं. इस गांव में रहने वाले हजारों ग्रामीणों ने रंगों का त्योहार होली नहीं मनाया है.

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पौराणिक कथाओं के अनुसार, होली के दिन ही स्थानीय राजा के बेटे की मृत्यु हुई थी और संयोग से राजा की मृत्यु भी होली के दिन ही हुई थी.

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मरने से पहले राजा ने अपनी प्रजा को होली न खेलने का आदेश दिया था. इसलिए जो भी होली खेलना चाहता है, उसे दूसरे गांव या कस्बे में जाकर होली खेलनी पड़ती है.

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इसके अलावा परंपरागत रूप से, तमिलनाडु में रहने वाले लोग उत्तर भारत के निवासियों की तरह होली नहीं मनाते हैं.

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हालांकि, चूंकि होली पूर्णिमा के दिन पड़ती है, इसलिए तमिल लोग इस दिन को मासी मगम के रूप में मनाते हैं.

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ऐसा माना जाता है कि यह एक पवित्र दिन है क्योंकि इस दिन दैवीय प्राणी और पूर्वज पवित्र नदियों, तालाबों और पानी की टंकियों में डुबकी लगाने के लिए धरती पर उतरते हैं.

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