मुगल काल में मुस्लिम त्योहार से मिलता-जुलता था होली का नाम

15 March 2025

रंगो का त्योहार होली स्वास्थ्य, धार्मिक परंपरा और सामाजिक सद्भाव बढाने वाला उत्सव है. बिना किसी भेदभाव के लोग एक दूसरे के गले मिलकर होली मनाते हैं.

मुगल काल में भी होली का त्योहार बड़े धूमधूाम से मनाया जाता था. औरंगजेब के शासन को छोड़कर अकबर, जहांगीर और शाहजहां के शासनकाल में मुगलों के दरबार में हिंदू राजा और दरबारी मिलकर होली खेलते थे.

अकबर के समय में फतेहपुर सीकरी और आगरा में होली का भव्य आयोजन होता था. जहांगीर के काल में होली खेलने के चित्र कई ऐतिहासिक पेंटिंग्स में भी मिलती हैं.

शाहजहां के शासनकाल में होली थोड़ा औपचारिक हो गई, लेकिन यह त्योहार तब भी महलों में मनाया जाता था.

ईद, मुस्लिम समुदाय का पवित्र त्योहार है जिसे उर्दू और अरबी में "खुशी" या "पर्व" के रूप में जाना जाता है.

जैसे ईद-उल-फितर (मीठी ईद) और ईद-उल-अजहा (बकरीद) कहा जाता है वैसे ही मुगल काल में होली का नाम मुस्लिम त्योहार से मिलता-जुलता था.

मुगल काल में होली को "ईद-ए-गुलाबी" या "आब-ए-पाशी" कहा जाता था, जिसका अर्थ है 'गुलाबी ईद' या 'पानी की बौछार'.

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